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BSP: क्या बिहार चुनाव में एक्स फैक्टर बनेंगी मायावती, दलितों का वोट काटने में सफल हुईं तो बदल जाएंगे समीकरण

BSP: क्या बिहार चुनाव में एक्स फैक्टर बनेंगी मायावती, दलितों का वोट काटने में सफल हुईं तो बदल जाएंगे समीकरण
BSP: क्या बिहार चुनाव में एक्स फैक्टर बनेंगी मायावती, दलितों का वोट काटने में सफल हुईं तो बदल जाएंगे समीकरण

BSP: क्या बिहार चुनाव में एक्स फैक्टर बनेंगी मायावती, दलितों का वोट काटने में सफल हुईं तो बदल जाएंगे समीकरण

बिहार की चुनावी लड़ाई शुरुआत में त्रिकोणीय दिखाई दे रही थी। एनडीए और महागठबंधन के बीच जनसुराज पार्टी ने खूब लोगों का ध्यान खींचा था। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा, ऐसा लगने लगा कि पूरी चुनावी लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई में तब्दील हो चुकी है। जनसुराज पार्टी कुछ सीटों पर असर छोड़ने तक सीमित रह सकती है। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच चर्चा पाने में सफलता पाई है।

मायावती के भतीजे आकाश आनंद के पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनने के बाद बिहार उनका पहला टेस्ट है। यहां वे लगातार जनसभाएं-बैठकें कर रहे हैं। उनकी जनसभाओं में दलित युवाओं की अच्छी खासी संख्या बसपा के लिए उम्मीदें जगाने वाला है। मायावती भी एक जनसभा को संबोधित कर चुकी हैं। इससे बसपा के लिए बिहार में कुछ बेहतर संभावनाएं दिख सकती हैं।

पूरे देश का लगभग 8.5 प्रतिशत अनुसूचित समुदाय बिहार में रहता है। अकेले बिहार में दलितों की आबादी 19 प्रतिशत से अधिक मानी जाती है। इसमें चर्मकार, दुसाध, रैदासिया, पासवान सहित सैकड़ों छोटी-छोटी उपजातियां हैं। यह मतदाता चिराग पासवान और जीतनराम मांझी जैसे नेताओं के कारण मोटे तौर पर एनडीए के साथ है। लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा महागठबंधन के साथ भी है जो तेजस्वी यादव के एमवाई समीकरण को अतिरिक्त मजबूती देने का काम करता है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दलित वोटों के मामले में एनडीए के ट्रंप कार्ड साबित हुए हैं। उनके कारण एक बड़ा वोट बैंक एनडीए के साथ बना हुआ है। लेकिन दलितों का ‘कट्टर अंबेडकराइट’ वर्ग अभी भी महागठबंधन को वोट करता है। जिस इलाके में वामपंथी दल मजबूत हैं, वहां यह वर्ग उसे वोट करता है। लेकिन यह वर्ग दलित आइडियोलॉजी के मामले में बसपा को आज भी अपनी सबसे बड़ी पार्टी और मायावती को अपना सबसे बड़ा नेता मानता है। माना जा रहा है कि यही वर्ग बसपा के समर्थन में आ सकता है जो महागठबंधन का कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकता है।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा ने चैनपुर सीट जीती थी। बाद में इसके विधायक मोहम्मद जमाल खान जदयू में शामिल हो गए थे। 2005 में उसे भभुआ सीट पर जीत मिली थी। इस बार भी बसपा को कुछ सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है। लेकिन मायावती सीटों के जीत हार से ज्यादा अपने मतदाताओं के एकत्रीकरण पर जोर देकर अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं। यही कारण है कि कई दलों को मायावती से नुकसान होने का खतरा है।

यूपी को संदेश देने की रहेगी कोशिश
मायावती की सबसे बड़ी प्राथमिकता उत्तर प्रदेश है जहां 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी उसके लिए अभी से पूरी तैयारी कर रही है। बिहार में बसपा का असर यूपी से सटे इलाकों में सबसे ज्यादा है। लेकिन यदि वह यहां अच्छे तरीके से अपने वोट बैंक को जागृत कर पाती है तो बिहार से सटे यूपी के दलित मतदाताओं में एक अच्छा संदेश दिया जा सकेगा। यही कारण है कि बसपा बिहार चुनाव में खूब हाथ पांव मार रही है।

जनता समझदार, निर्णायक वोट करेगी- भाजपा 
हालांकि, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस बात से इनकार कर रहे हैं कि मायावती के मजबूत होने से उन्हें कुछ नुकसान हो सकता है। भाजपा नेता सुप्रिया सिंह ने अमर उजाला से कहा कि लोकसभा से लेकर विभिन्न राज्यों तक जनता लगातार निर्णायक वोट दे रही है। वह कोट काटने वाली पार्टियों को वोट देकर अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता विकास के लिए वोट करेगी। उन्हें पता है कि यह चुनाव बिहार के लिए करो या मरो वाला चुनाव है। लोग अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए और बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को वोट करेंगे।

दलितों को राहुल के नेतृत्व में विश्वास- कांग्रेस 
कांग्रेस नेता विश्व विजय सिंह ने अमर उजाला से कहा कि इस देश के दलितों ने बार-बार दूसरे दलों को आजमाकर देख लिया है कि उनके अधिकारों की लड़ाई केवल कांग्रेस लड़ रही है। राहुल गांधी ने देश के हर हिस्से में दलितों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद किया है। वे संविधान बचाने से लेकर दलितों के अधिकारों के लिए कई बार केंद्र और भाजपा की सरकारों से टकराते देखे जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें पूरा विश्वास है कि बिहार का दलित समुदाय एकजुट होकर महागठबंधन को जिताने का काम करेगा जो उसके अधिकारों की लड़ाई लड़ेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि दलित समुदाय किसी ऐसी पार्टी को वोट देने की गलती नहीं करेगा जो न तो सत्ता में आने वाला है और कुछ वोट काटकर वह केवल भाजपा को लाभ पहुंचाने का काम करने के लिए बिहार आया हुआ है।
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Author: planetnewsindia

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