बांग्लादेश के समुद्र की कोई भी सीमा पाकिस्तान को छूती ही नहीं है। इसके बावजूद पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख एडमिरल नावेद अशरफ बांग्लादेश पहुंच गए। अपनी चार दिवसीय इस यात्रा के दौरान उन्होंने बांग्लादेश के सेना अध्यक्ष से मुलाकात की। यही नहीं, उनके पहुंचने के साथ ही पाकिस्तान का एक युद्ध पोत भी वहां पहुंच गया।
विदेशी मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ नौसैनिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, बांग्लादेश में पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख के दौरे का एक बड़ा समुदाय विरोध कर रहा है। नौसेना के पूर्व कमोडोर रहे और बांग्लादेश से लगती सीमा पर लंबे समय तक तैनात रहे जीएस ढिल्लों कहते हैं कि इस दौरे को एक सामान्य यात्रा के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि जब बांग्लादेश और पाकिस्तान की समुद्री सीमा का कोई भी आपसी जुड़ाव ही नहीं है तो आखिरकार नौसेना प्रमुख बांग्लादेश करने क्या गए हैं?
बांग्लादेश के सहारे भारत को घेरने की कोशिश
कमोडोर जीएस ढिल्लों कहते हैं कि इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि अब पाकिस्तान बांग्लादेश के माध्यम से भारत को घेरने करने की कोशिश कर रहा है। जब से बांग्लादेश में नए नेतृत्व ने सत्ता संभाली है, तब से एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान से लगभग साढ़े सात सौ मिलियन डॉलर का बांग्लादेश ने आयात किया है। बदले में 100 मिलियन डॉलर से कम का निर्यात किया है। मोहम्मद यूनुस ने यह व्यापार सिर्फ भारत को अस्थिर करने और पाकिस्तान को बांग्लादेश में पनाह देने के लिए किया है।
ऑपरेशन सर्चलाइट को नहीं भूले बांग्लादेश के लोग
विदेशी मामलों के जानकार और भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. अशोक पाठक बताते हैं कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ मिलकर जिस तरीके से अपने रिश्ते बनाना चाह रहा है, दरअसल उसका खामियाजा आने वाले दिनों में बांग्लादेश को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि बांग्लादेश में आज भी ऑपरेशन सर्चलाइट को लोगों ने भुलाया नहीं है। बांग्लादेश को आजाद करने के लिए जब बांग्ला राष्ट्रवादी आंदोलन को शुरू किया गया, तो ऑपरेशन सर्चलाइट के माध्यम से लाखों महिलाओं से बलात्कार किया गया था। लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
डॉ. पाठक कहते हैं कि आज की बांग्लादेश की करीब 60 फीसदी से ज्यादा की आबादी ऑपरेशन सर्चलाइट से सीधे तौर पर प्रभावित है क्योंकि इसी ऑपरेशन के दौरान उनके अपने इसकी जद में आ गए थे। ऐसे में ढाका और इस्लामाबाद की दोस्ती को यहां की एक बड़ी आबादी आसानी से अपना लेगी, इसकी संभावना कम नजर आ रही है। डॉ. पाठक कहते हैं कि शेख हसीना के निष्कासन के बाद ऑपरेशन सर्चलाइट की याद को दबाने की सक्रिय कोशिश फिर से शुरू कर दी गई है। यही नहीं, पाकिस्तान बांग्लादेश को अपना सबसे करीबी बताते हुए अपने सांस्कृतिक और व्यापारिक ढांचे को बांग्लादेश में प्रवेश कराने की फिराक में लगा हुआ है।
अत्याचार की कहानी गलत तरीके से पढ़ाता पाकिस्तान
दूसरी ओर, 2025 में बांग्लादेश-भारत का व्यापार लगभग 13.5 अरब डॉलर का होने का अनुमान है। इसमें भारत तकरीबन एक अरब डॉलर का आयात करता है। डॉ. पाठक कहते हैं कि पाकिस्तान ने बांग्लादेश में जमकर अत्याचार किया। अब इस अत्याचार को पाकिस्तान अपने छात्रों को अपनी किताबों में एक अलग तरीके से पढ़ाता है। पाकिस्तान की नेक नियत तो पहले भी साफ नहीं थी और अब जब बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार के साथ उसको बढ़ाया जा रहा है, तब भी नीयत साफ नहीं है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में ऑपरेशन सर्चलाइट की कहानियां ही अलग-अलग तरीके से बताई जाती हैं। बांग्लादेश में जहां उसे पाकिस्तान की ओर से किए गए नरसंहार के तौर पर याद किया जाता है, वहीं पाकिस्तान अपने देश में इसे एक बचाव के तौर पर बताता है। जब बुनियाद के रिश्तों में ही खोट हो, तो नींव कितनी कमजोर होगी, इसका पता करना कठिन नहीं है।
विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान की इस तरह से होने वाले दखल को स्थानीय युवाओं में दूसरे नजरिए से देखा जा रहा है, जो कभी भी बहुत बड़े आंदोलन के रूप में बदल सकता है। रक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि बीते कुछ दिनों में जिस तरीके से पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों का बांग्लादेश में आना-जाना बना है, वह सामान्य नहीं है।
बांग्लादेश के लिए शर्मसार होने वाली स्थिति
रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड ब्रिगेडियर डीपी सिंह संधू कहते हैं 1971 में भारतीय नौसेना ने जब यहां के स्थानीय बाजार में पाकिस्तानियों की चौकिया को नष्ट किया था, तो बांग्लादेशियों ने उस वक्त जश्न मनाया था। आज जब पाकिस्तान का एक युद्ध पोत उसी जगह पर फिर से पहुंचा है, तो यह कैसे संभव है कि बांग्लादेश के लोग इससे खुश होंगे। वह कहते हैं कि जिस जगह पर पाकिस्तान ने बांग्लादेशियों का कत्ल किया था, वहां पर पाकिस्तान का युद्धपोत खड़ा होकर पाकिस्तानी झंडा फहराए, यह बांग्लादेश के लिए भी बड़ी शर्मसार करने वाली स्थिति है। भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे डॉ. पाठक कहते हैं कि आज भी बांग्लादेश के लोग भारत के साथ सांस्कृतिक और शिक्षा के साथ-साथ अपने विकास को लेकर बहुत उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन बांग्लादेश की बदली हुई सरकार ने उनकी उम्मीद पर पानी फेरना शुरू कर दिया है।
हालांकि, उनका मानना है की हकीकत में भारत और बांग्लादेश एक अच्छे सहयोगी हैं। बांग्लादेश ने क्षेत्रीय उकसावे और संघर्ष के बजाय आर्थिक विकास को ही चुना है। किसी भी राजनीतिक नेतृत्व के तहत इसमें कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना फिलहाल बहुत कम दिखती है।