Delhi: हिंदूवादी छवि गढ़ने में जुटी दिल्ली सरकार, अब छठ महापर्व पर दिखेगी ये कोशिश


सत्ता में आने के बाद से ही दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार अपनी छवि हिंदूवादी सरकार के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। कांवड़ यात्राओं, नवरात्रि, रामलीलाओं के सफल आयोजन के बाद दिवाली में पटाखों को चलाने की अनुमति दिलाकर सरकार ने अपनी हिंदूवादी छवि को मजबूत करने का काम किया है। अब सरकार पूरे दमखम के साथ यमुना किनारे छठ महापर्व का आयोजन कराने के लिए दिन रात जुटी हुई है। आला अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार बैठकें कर छठ महापर्व के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार का सांस्कृतिक कार्य मंत्रालय सनातन धर्म से जुड़े पर्व-त्योहारों को एक वृहद स्वरूप में आयोजित करने की योजना बना रही है। इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने की एक योजना बताई जा रही है। लेकिन जिस तरह हिंदुओं से जुड़े पर्व-त्योहारों को प्रसिद्ध बनाने की कोशिश की जा रही है, यह सरकार की एक वृहद योजना का हिस्सा लगता है।
जो कहा, वो किया- वीरेंद्र सचदेवा
भाजपा नेता इस प्रयास को गर्व के साथ बताने का काम भी कर रहे हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि अब तक राजधानी में हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा था। पिछली सरकार हिंदुओं के पर्व-त्योहारों को मनाने की अनुमति न देकर हिंदू विरोधियों की तरह काम कर रही थी, जबकि दिल्ली में भाजपा की सरकार आने के बाद सभी त्योहार पूरे उल्लास के साथ मनाए जा रहे हैं। और इसमें किसी तरह की बाधा नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि हमने लगभग एक साल पहले जनता से यह करने का वादा किया था, और आज उस वादे को पूरा कर रहे हैं।
‘छठ को सफलतापूर्वक संपन्न कराएंगे’
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि यमुना में प्रदूषण का बहाना लेकर पूर्वांचली भाई-बहनों को यमुना नदी के किनारे छठ पर्व मनाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। लेकिन भाजपा ने एक संकल्प लिया और सत्ता में आने के बाद पहली बार ही यमुना के किनारे छठ पर्व मनाने के लिए भव्य तैयारियां की जा रही हैं। यमुना तट के साथ-साथ पूरी दिल्ली में 1500 घाटों पर होगी छठ पूजा का आयोजन किया जाएगा। 23 विशाल प्राकृतिक घाट यमुना तट पर रहेंगे, जबकि शेष घाट लोगों की मांग पर राजधानी के अलग-अलग लगभग 1300 स्थानों पर बनाए जा रहे हैं।
सचदेवा ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस केवल जनता को बांटने और एक वर्ग विशेष का तुष्टिकरण करने की राजनीति करती हैं, जबकि भाजपा सर्व समाज की भलाई और विकास करने का काम करती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता अब खुलकर धार्मिक आयोजनों का आनंद ले सकेगी और सरकार हर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
दिल्ली को अभेद्य किला बनाने का बड़ा लक्ष्य
दरअसल, भाजपा की इस कोशिश के पीछे दिल्ली का चुनावी गणित सबसे ज्यादा जिम्मेदार कारक माना जा सकता है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से लगभग 20 सीटें मुस्लिम और अन्य समुदायों के विशेष प्रभाव वाली सीटें माना जाता है जहां भाजपा परंपरागत रूप से कमजोर प्रदर्शन करती रही है। भाजपा नेता स्वयं मानते हैं कि उनकी लड़ाई प्रमुख तौर पर शेष 50 सीटों पर होती है और उन्हें इसमें से सरकार बनाने के लिए न्यूनतम 35 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है।
दिल्ली बनेगा हिंदुत्व का एक और मजबूत गढ़?
एक भाजपा नेता के अनुसार, इन 50 सीटों पर अधिकतर मतदाताओं को पूरी तरह अपने पक्ष में जोड़ने के लिए सरकार हर मोर्चे पर काम कर रही है। इसके लिए विकास, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई, नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने और हिंदू पर्व-त्योहारों पर भव्य आयोजन जैसे तमाम उपायों को आजमाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा का अनुमान है कि वह इस गणित के सहारे वह दिल्ली को भी मध्य प्रदेश-गुजरात जैसे अपने मजबूत गढ़ के रूप में तब्दील कर सकेगी।
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