Pankaj Tripathi: इस वजह से बदला पिता का सरनेम, गांव की लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए करते थे ऐसी हरकत

सार

Pankaj Tripathi Birthday: लोकप्रिय अभिनेता और बहुत सहज इंसान पंकज त्रिपाठी आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े किस्से।

Pankaj Tripathi Birthday Unknown Facts About Him How He Mate With His Wife Struggle And Professional Journey

विस्तार

‘कालीन भैया’ यानी पंकज त्रिपाठी आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। पंकज त्रिपाठी वो कलाकार हैं, जो जिस भी रोल में नजर आते हैं, ऐसा लगता है ये उन्हीं के लिए लिखा गया हो। कभी वो ‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया का भौकाल दिखाते हैं, तो कभी ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के सुल्तान का खौफ। कभी ‘बरेली की बर्फी’ में अपनी बेटी का हर शैतानी से लेकर नादानी तक में साथ देने वाले पिता नरोत्तम मिश्रा के रूप में नजर आते हैं, तो कभी ‘गुंजन सक्सेना’ में अपनी बेटी के सपनों को उड़ान देने वाले पिता बन जाते हैं। कभी ‘स्त्री’ में रुद्रा भैया ने चंदेरी का पुराण बताकर पूरे गांव को बचाने का प्रयास किया, तो कभी ‘क्रिमिनल जस्टिस’ में माधव के मिश्रा के रूप में एक चालाक मगर दिल का अच्छा वकील नजर आया।

कभी ‘सेक्रेड गेम्स’ के रहस्यमयी गुरुजी ने हमें उलझाया, तो कभी ‘कड़क सिंह’ बनकर एक सख्त अधिकारी ने उलझे हुए केस को सुलझाया। कभी ‘मसान’ के एक मामूली से रेलवे कर्मचारी ने अपनी बातों से जिंदगी की बड़ी सीख दे डाली और हमारे दिल को छुआ। तो कभी ‘फुकरे’ के एक कॉलेज गार्ड पंडित ने अपनी सलाह-मशविरा से लड़कों को नई राह दिखाई। पंकज त्रिपाठी इन सभी किरदारों में इस कदर उतरे कि उन्हें देखकर ऐसा लगा कि जैसे ये उन्हीं के लिए हों।

कभी ‘सेक्रेड गेम्स’ के रहस्यमयी गुरुजी ने हमें उलझाया, तो कभी ‘कड़क सिंह’ बनकर एक सख्त अधिकारी ने उलझे हुए केस को सुलझाया। कभी ‘मसान’ के एक मामूली से रेलवे कर्मचारी ने अपनी बातों से जिंदगी की बड़ी सीख दे डाली और हमारे दिल को छुआ। तो कभी ‘फुकरे’ के एक कॉलेज गार्ड पंडित ने अपनी सलाह-मशविरा से लड़कों को नई राह दिखाई। पंकज त्रिपाठी इन सभी किरदारों में इस कदर उतरे कि उन्हें देखकर ऐसा लगा कि जैसे ये उन्हीं के लिए हों।

इस वजह से महीने में दो बार मनाते हैं जन्मदिन
पंकज त्रिपाठी वैसे तो आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन शायद आप नहीं जानते कि वो सितंबर में एक नहीं बल्कि दो बार जन्मदिन मनाते हैं। दरअसल, एक इंटरव्यू में पंकज ने खुद बताया था कि 5 सितंबर को उनका असली जन्मदिन नहीं होता है। बल्कि उनका असल जन्मदिन 28 सितंबर को होता है। ये वाला जन्मदिन स्कूल में दाखिले के वक्त लिखवा दिया गया था, इसलिए अब डॉक्यूमेंट में यही नाम है। लेकिन असल में उनका जन्मदिन 28 सितंबर को होता है।

अपने साथ-साथ पिता का भी बदल दिया सरनेम
पंकज त्रिपाठी ने अपना और अपने पिता दोनों का सरनेम बदल दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया इसके पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, पहले उनका नाम पंकज तिवारी था। लेकिन अपने चाचा का सरनेम त्रिपाठी होने पर उन्होंने ऐसा किया। इसके पीछे के एक किस्से को सुनाते हुए अभिनेता ने बताया था कि मैंने अपना सरनेम तब बदला जब मैं 10वीं का एडमिट कार्ड भर रहा था। मेरे चाचाजी अपना सरनेम त्रिपाठी रखते थे और वे भारत सरकार में एक अधिकारी बन गए थे। एक बाबा भी थे, जिनका सरनेम त्रिपाठी था, वो हिन्दी के प्रोफेसर बन गए।
मुझे लगा कि जिन लोगों ने अपना सरनेम बदला, वह सफलता पा रहे हैं और जिनका नाम तिवारी था, वे सभी या तो पुजारी थे या खेती करते थे। मैं किसान या पुजारी नहीं बनना चाहता था। इसलिए मैंने फॉर्म में अपना नाम त्रिपाठी लिखा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं फॉर्म में अपने पिता का नाम तिवारी नहीं लिख सकता, क्योंकि यह खारिज हो सकता है, इसलिए मैंने उनका नाम भी बदल दिया।

लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए करते थे स्टंट
पंकज त्रिपाठी अपने गांव में लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए साइकल पर स्टंट किया करते थे। जब वो 7वीं-8वीं कक्षा में थे तब इस तरह की हरकतें किया करते थे। वो भी एक और लड़का ऐसा करता था, जो लड़कियों के बीच काफी मशहूर था। इसलिए पंकज भी ऐसा करते थे।

इस वजह से महीने में दो बार मनाते हैं जन्मदिन
पंकज त्रिपाठी वैसे तो आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन शायद आप नहीं जानते कि वो सितंबर में एक नहीं बल्कि दो बार जन्मदिन मनाते हैं। दरअसल, एक इंटरव्यू में पंकज ने खुद बताया था कि 5 सितंबर को उनका असली जन्मदिन नहीं होता है। बल्कि उनका असल जन्मदिन 28 सितंबर को होता है। ये वाला जन्मदिन स्कूल में दाखिले के वक्त लिखवा दिया गया था, इसलिए अब डॉक्यूमेंट में यही नाम है। लेकिन असल में उनका जन्मदिन 28 सितंबर को होता है।

अपने साथ-साथ पिता का भी बदल दिया सरनेम
पंकज त्रिपाठी ने अपना और अपने पिता दोनों का सरनेम बदल दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया इसके पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, पहले उनका नाम पंकज तिवारी था। लेकिन अपने चाचा का सरनेम त्रिपाठी होने पर उन्होंने ऐसा किया। इसके पीछे के एक किस्से को सुनाते हुए अभिनेता ने बताया था कि मैंने अपना सरनेम तब बदला जब मैं 10वीं का एडमिट कार्ड भर रहा था। मेरे चाचाजी अपना सरनेम त्रिपाठी रखते थे और वे भारत सरकार में एक अधिकारी बन गए थे। एक बाबा भी थे, जिनका सरनेम त्रिपाठी था, वो हिन्दी के प्रोफेसर बन गए।
मुझे लगा कि जिन लोगों ने अपना सरनेम बदला, वह सफलता पा रहे हैं और जिनका नाम तिवारी था, वे सभी या तो पुजारी थे या खेती करते थे। मैं किसान या पुजारी नहीं बनना चाहता था। इसलिए मैंने फॉर्म में अपना नाम त्रिपाठी लिखा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं फॉर्म में अपने पिता का नाम तिवारी नहीं लिख सकता, क्योंकि यह खारिज हो सकता है, इसलिए मैंने उनका नाम भी बदल दिया।

लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए करते थे स्टंट
पंकज त्रिपाठी अपने गांव में लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए साइकल पर स्टंट किया करते थे। जब वो 7वीं-8वीं कक्षा में थे तब इस तरह की हरकतें किया करते थे। वो भी एक और लड़का ऐसा करता था, जो लड़कियों के बीच काफी मशहूर था। इसलिए पंकज भी ऐसा करते थे।

ये कहकर मांगने जाते थे काम
जब पंकज त्रिपाठी रोल मांगने के लिए ऑफिस-ऑफिस भटकते तो, जब भी गार्ड उनसे पूछता था कि किसने बुलाया है तो वो कहते थे कि बुलाया नहीं है, ईश्वर जी ने भेजा है। जब अंदर कास्टिंग डायरेक्टर उनसे पूछता तो वही जवाब देते कि ईश्वर जी ने भेजा है। फिर जब वो पूछते कि कौन ईश्वर जी तो पंकज त्रिपाठी ऊपर वाले की तरफ इशारा करते। उनकी बात सुनकर कई लोग तो हंस पड़ते थे और उनके सेंस ऑफ ह्यूमर की तारीफ करते, लेकिन कई लोग खफा भी हो जाते थे।

ऐसे मिला पहला रोल
काफी मशक्कत के बाद पंकज त्रिपाठी को साल 2004 में आई फिल्म ‘रन’ में पहली बार मौका मिला। फिल्म में वो छोटी सी भूमिका में नजर आए थ। इसके बाद वह करीब 8 साल तक छोटे-मोटे रोल करते रहे। आखिरकार साल 2012 में आई फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में ‘सुल्तान’ के किरदार से उन्हें पहचान मिली और फिर उनकी गाड़ी चल पड़ी।

ऐसे मिला ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में सुल्तान का किरदार
पंकज त्रिपाठी को पहचान मिली ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में निभाए गए सुल्तान के किरदार से। लेकिन ये किरदार भी पंकज को बड़े ही अनोखे तरीके से मिला। दरअसल, सुल्तान के किरदार के लिए पहले किसी और अभिनेता को कास्ट किया गया था। उसने फिल्म की शूटिंग भी शुरू कर दी थी। जबकि पंकज फिल्म में एक छोटी सी भूमिका के लिए थे। लेकिन निर्देशक अनुराग कश्यप उस अभिनेता की एक्टिंग से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लग रहा था कि ‘सुल्तान’ में जो गहराई और क्रूरता चाहिए, वह पर्दे पर नहीं आ पा रही है। अनुराग कश्यप एक नए अभिनेता की तलाश में थे।
एक दिन जब वे सेट पर थे, उन्होंने अचानक देखा कि पंकज त्रिपाठी, जो एक छोटे से सीन के लिए तैयार हो रहे थे, बिलकुल शांत खड़े थे। अनुराग को पंकज की आंखों में वह ठंडक और गंभीरता दिखी, जो ‘सुल्तान’ के किरदार के लिए उन्हें चाहिए थी। इसके बाद अनुराग ने पंकज को बुलाया और उनसे पूछा, ‘क्या तुम यह रोल कर सकते हो?’ पंकज ने बिना सोचे-समझे हां कर दी। उन्होंने तुरंत उस किरदार की गहराई को समझा और एक अभिनेता के रूप में अपनी पूरी प्रतिभा झोंक दी। जब उन्होंने ‘सुल्तान’ के रूप में पहला शॉट दिया, तो सेट पर हर कोई दंग रह गया।
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Author: PRIYA NEWSINDIA

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