संदल शरीफ व चिरागां के साथ मुनाकिव हुआ उर्स ए बिलाली


कस्बे में चल रहे सुल्तानुल आरफीन हजरत ख्वाजा सूफी हाफिज अलाउद्दीन हसन शाह बिलाली के चार रोजा उर्स का कुल शरीफ की रस्म अदायगी के बाद सोमवार को संदल शरीफ और शाम को चिरागां की रस्म अदा करने के साथ ही मुनाकिव हुआ।
सुल्तान उल आरफीन हजरत ख्वाजा सूफी हाफिज अलाउद्दीन हसन शाह बिलाली का ये 29वां सालाना उर्स था। जिसमें बाहर से हजारों की तादाद में अकीदतमंद बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने दरगाह शरीफ पर पहुंचे। इस उर्स में बाहर से आने वाले अकीदतमंदों व जायरीनों के लिए कैंप लगाकर बाकायदा उनकी अगवानी की जाती है। रात्रि को बाबा के दरबार में महफिले समा के दौरान बाबा की शान में देश के मशहूर कव्वाल कव्वालियां पेश करते हैं । मशहूर कव्वालों ने भी अपनी कलामे कब्बालियां पेश कर अपनी हाजिरी लगाई। मलंगों ने भी डेरा जमाकर मुल्क और कौम की सलामती की दुआ की। सोमवार को उर्स के आखिरी दिन सुबह 10 बजे संदल शरीफ की रस्म अदा करने के बाद जुलूस ए संदल नगर के खास बाजार व रास्तों से हो कर निकाला गया। उसके बाद शाम को मगरिब की नमाज के बाद चिरागां की रस्म अदा की गई। जिसमें हजारों की तादात में दिए जलाकर दरगाह को रोशन किया गया। शाह बिलाली की दरगाह शरीफ चिरागों की रोशनी में नहा उठी। जिसे देखने के लिए हजारों की तादाद में अकीदतमंद मौजूद रहे। वहीं बैंड बाजों की सुहानी धुन लोगों को भारी सुकून दे रही थी। उर्स के सभी प्रोग्राम सज्जादा गद्दी नशीन सूफी डॉक्टर इरशाद हसन शाह बिलाली की सर परस्ती में इंतजामिया कमेटी द्वारा कामयाबी से पूरे कराए गए वहीं उर्स में नगर पंचायत व पुलिस प्रशासन के खास बदोवस्त से अकीकतमंदों एवं जायरीनों के साथ हर किसी ने उर्स की कामयाबी को सराहा।