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Ajab-Gajab: अब यहां पर 64 दिनों तक नहीं उगेगा सूरज, 22 जनवरी तक रहेगी रात, जानिए क्या है वजह|

Ajab-Gajab: अब यहां पर 64 दिनों तक नहीं उगेगा सूरज, 22 जनवरी तक रहेगी रात, जानिए क्या है वजह|
Ajab-Gajab: अब यहां पर 64 दिनों तक नहीं उगेगा सूरज, 22 जनवरी तक रहेगी रात, जानिए क्या है वजह|

Ajab-Gajab: पोलर नाइट का मतलब होता है ध्रुवीय रात। इस समय सूरज क्षितिज से ऊपर नहीं आता और पूरा दिन अंधेरा रहता है। उटकियागविक को पहले बारो नाम से जाना जाता था, जो आर्कटिक सर्कल के अंदर है।

Ajab-Gajab: अब यहां पर 64 दिनों तक नहीं उगेगा सूरज, 22 जनवरी तक रहेगी रात, जानिए क्या है वजह|

विस्तार

Ajab-Gajab: अमेरिका के सबसे उत्तरी इलाके अलास्का में बसे उटकियागविक में मंगलवार को साल 2025 का आखिरी सूर्यास्त हो चुका है। अब इस पूरे क्षेत्र में ध्रुवीय रात(Polar Night) रहेगी। इसका मतलब है कि अगले 64 दिनों तक सूरज क्षितिज (Horizon) से नीचे ही रहेगा यानी सूरज नहीं निकलेगा। उटकियागविक में लोगों को अब 22 जनवरी 2026 तक सूरज नजर नहीं आएगा। इसकी वजह यह है कि धरती अपनी धुरी पर झुकी हुई है और यह जगह आर्कटिक वृत(Arctic Circle)के ऊपर है। अमेरिका के उत्तर में बसे होने के कारण इस शहर में हर साल ऐसा होता है।

पोलर नाइट क्या होती है?

पोलर नाइट का मतलब होता है ध्रुवीय रात। इस समय सूरज क्षितिज से ऊपर नहीं आता और पूरा दिन अंधेरा रहता है। उटकियागविक को पहले बारो नाम से जाना जाता था, जो आर्कटिक सर्कल के अंदर है। पृथ्वी की झुकाव के कारण सूरज कई दिनों तक नहीं नजर आता है। इस साल 18 नवंबर को दोपहर 1:36 बजे सूरज डूबा और अब 22 जनवरी 2026 को ही निकलेगा। यह अवधि ठीक 64-65 दिनों की है।

क्यों नहीं निकलता है सूरज? 

पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी है। सर्दियों के मौसम में उत्तरी ध्रुव सूरज से दूर हो जाता है, जिसके कारण आर्कटिक इलाकों में सूरज नहीं पहुंचता है। गर्मियों में ठीक उल्टा होता है, तब पोलर डे आता है, जब सूरज कभी नहीं डूबता। उटकियागविक में मई से अगस्त तक 80-85 दिनों तक लगातार सूरज नहीं डूबता है और दिन रहता है।

यहां शोध करते हैं वैज्ञानिक

अमेरिका के उत्तर में उटकियागविक बसा हुआ है। जहां हर साल सर्दियों में करीब 64 से 65 दिनों के लिए सूरज नहीं उगता है। पहले इसे बारो के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2016 में नाम बदला गया। वैज्ञानिक यहां आर्कटिक शोध करते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन का अध्ययन। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से यहां की बर्फ पिघल रही है, जिससे पोलर नाइट प्रभावित हो सकता है।

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Author: ILMA NEWSINDIA

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