2020 Delhi Riots: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने दिखाए शरजील इमाम के वीडियो, भड़काऊ भाषणों का आरोप दोहराया|

2020 Delhi Riots: दिल्ली पुलिस ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम के भड़काऊ भाषणों के वीडियो दिखाए हैं। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करने की मांग भी की थी।

2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ वीडियो दिखाए, जिनमें शरजील इमाम को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देते हुए दिख रहा है। पुलिस ने दावा किया कि इन भाषणों से माहौल बिगड़ा और लोगों को उकसाने का काम हुआ। बता दें कि शरजील इमाम पर आरोप है कि उन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान ऐसे भाषण दिए, जिनसे सरकार के मुताबिक कानून-व्यवस्था पर असर पड़ा। इमाम इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं और उनका कहना है कि उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध की बात की थी।
‘देश-विरोधी गतिविधियों का चल रहा ट्रेंड’
इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि देश में एक चिंताजनक रुझान देखने को मिल रहा है- डॉक्टर, इंजीनियर जैसे पेशेवर लोग अपने पेशे से हटकर ‘राष्ट्रविरोधी गतिविधियों’ में शामिल हो रहे हैं। पुलिस ने इसे एक उभरती हुई समस्या बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से देखने की जरूरत है।
आरोपियों की जमानत याचिका खारिज का विरोध
इससे पहले 30 अक्तूबर को दिल्ली पुलिस ने 2020 दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की थी। इसे लेकर पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था। जिसमें दावा किया गया है कि दंगे को पूरे भारत में फैलाने की कोशिश की गई थी और इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचना था।
‘ट्रंप के दौरे के समय ही हिंसा भड़काने की थी योजना’
पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ही हिंसा भड़काने की योजना बनाई थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वैश्विक स्तर पर मुस्लिम विरोधी अभियान के रूप में पेश किया जा सके। हलफनामे के अनुसार, ‘सीएए के मुद्दे को जानबूझकर एक ‘उकसाने वाले कारण’ के रूप में चुना गया, जिसे शांतिपूर्ण विरोध के नाम पर छिपाया गया था।’
‘यह एक गहरी, सुनियोजित और सोची-समझी साजिश थी’
दिल्ली पुलिस ने आगे कहा कि यह एक गहरी, सुनियोजित और सोची-समझी साजिश थी, जिसके परिणामस्वरूप 53 लोगों की मौत हुई, और सैकड़ों करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस हिंसा से जुड़े 753 एफआईआर दिल्ली में दर्ज की गईं।
दंगों को देशभर में फैलाने की कोशिश की गई थी- पुलिस
पुलिस ने ये भी दावा किया कि जांच के दौरान मिले चैट संदेशों और डिजिटल साक्ष्यों, जिनमें ट्रंप के नाम का भी जिक्र है, से यह साफ होता है कि यह योजना केवल दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसे देशभर में फैलाने का भी प्रयास किया गया था।
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