Jagraon: मालखाने से ड्रग मनी घोटाले में नया खुलासा, आरोपी गुरदास का साथी मनोज गिरफ्तार; 6 लाख बरामद

थाना सिधवां बेट के मालखाने से ड्रग मनी गायब होने के मामले में पुलिस की जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। गिरफ्तार मुंशी गुरदास ने पूछताछ में माना कि वह केस प्रॉपर्टी की सील को लाइटर से पिघलाकर तोड़ देता था और रकम निकालने के बाद दोबारा सील जड़कर पूरे घोटाले को छुपा देता था। इस हेराफेरी में उसका साथी मनोज कुमार उर्फ मंगू भी शामिल था।
मनोज से बरामद हुए 6 लाख
गुरदास के बयान पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मनोज को भी गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से 6 लाख रुपये नगद बरामद किए गए हैं। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि बरामद रकम मनोज की हिस्सेदारी थी या गुरदास ने ही उसे पैसे सुरक्षित रखने के लिए दिए थे। मनोज को अदालत में पेश कर रिमांड माँगा जाएगा, जिससे और भी अहम खुलासों की उम्मीद है।
कैसे करता था घोटाला?
सूत्रों के मुताबिक, गुरदास चाय पीने के बहाने मनोज को मालखाने बुलाता था। इसके बाद मौका पाकर वह केस प्रॉपर्टी पर लगी सील को लाइटर से पिघलाकर तोड़ देता था। तय रकम निकालकर वह रुपये मनोज को पकड़ा देता था, जो ड्यूटी खत्म होने पर रकम लेकर निकल जाता था। वारदात के बाद गुरदास दोबारा वही सील लगाकर सब कुछ सामान्य दिखा देता था।
गुरदास के घर से पहले ही मिल चुके हैं 13 लाख
इससे पहले पुलिस गुरदास के घर पर दबिश देकर 13 लाख रुपये नकद बरामद कर चुकी है। अब कुल बरामदगी 19 लाख तक पहुँच चुकी है। पुलिस पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में लगी है और आने वाले समय में और भी बड़ी बातें सामने आने की संभावना है।
पुलिस ने बढ़ाईं धाराएं
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बीएनएस की कई सख्त धाराएं जोड़ी हैं—
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धारा 338: कीमती दस्तावेज़, वसीयत या अन्य महत्वपूर्ण रिकॉर्ड की जालसाजी – 10 साल तक की कैद
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धारा 336(2): सामान्य जालसाजी, जिसमें कागज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में छेड़छाड़ – 2 साल तक की सजा या जुर्माना
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धारा 340(2): नकली दस्तावेज़ को असली बताकर इस्तेमाल करना – इस स्थिति में आरोपी को वैसी ही सजा मिलती है, मानो उसने खुद जालसाजी की हो।
