Nagaur: खींवसर में स्कूल बसों की मनमानी, 150 बच्चों से ठसाठस भरी बसें, प्रशासन की चुप्पी से अभिभावकों में उबाल

राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर कस्बे में स्कूली बच्चों की जिंदगी खतरे में है। यहां निजी स्कूल बसों में क्षमता से तीन गुना तक बच्चों को ठूंसकर भरा जा रहा है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में मासूम बच्चों को तंग बसों में फर्श तक बैठे देखा जा सकता है — न सीट बेल्ट, न फर्स्ट एड किट, और न कोई सुरक्षा इंतजाम।
अभिभावक डरे, प्रशासन खामोश
स्थानीय अभिभावकों में इस लापरवाही को लेकर गहरा आक्रोश है। मीरा देवी, जिनका बेटा रोज इसी बस से स्कूल जाता है, बताती हैं —
“वीडियो देखकर डर लगने लगा है। बच्चे बस के फर्श पर लेटे हुए थे, अगर ब्रेक फेल हो जाए तो क्या होगा? हमारी शिकायतें कोई नहीं सुनता।”
नियमों की धज्जियां, मुनाफे की दौड़ में स्कूल
‘सेंट मेरी’ और ‘ग्रीन वैली पब्लिक स्कूल’ जैसी बसें प्रतिदिन सुरक्षा मानकों की खुली अवहेलना करते हुए सड़कों पर दौड़ रही हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि स्कूल प्रबंधन खर्च बचाने के लिए बच्चों को ठूंस देता है और ड्राइवरों को कम वेतन पर काम कराया जाता है।
सोशल मीडिया पर उठी लहर – #KhinwsarSchoolBusOverloading
इस मुद्दे पर अब सोशल मीडिया पर अभियान शुरू हो गया है। ‘खींवसर पैरेंट्स फोरम’ नामक समूह ने फेसबुक और एक्स पर कई पोस्ट साझा कीं। एक पोस्ट में लिखा गया —
“क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है? बच्चों की जान इतनी सस्ती कब से हो गई?”
अभिभावकों ने नागौर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल जांच, ओवरलोडिंग करने वालों पर एफआईआर और दोषी स्कूलों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की है।
कानून मौजूद, लेकिन लागू नहीं
राजस्थान की स्कूल बस नीति के तहत हर बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरा और फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य है। मोटर व्हीकल एक्ट-2019 की धारा 194 के अनुसार, ओवरलोडिंग पर ₹10,000 तक जुर्माना और वाहन जब्ती का प्रावधान है — मगर ये नियम सिर्फ कागजों में सीमित हैं।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ओवरलोडिंग से हादसे की संभावना 70% तक बढ़ जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में टिप्पणी की थी कि “स्कूल बसों की सुरक्षा राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, हर मामले में कोर्ट का दखल जरूरी नहीं।”
अभिभावक रवि शर्मा का कहना है —
“स्कूल फीस के नाम पर लूट मचाई जा रही है, लेकिन सुरक्षा पर ध्यान नहीं। अब अगर प्रशासन नहीं जागा, तो हम सड़क पर उतरेंगे।”
खींवसर में बच्चों की सुरक्षा अब सवाल नहीं, जरूरत बन चुकी है — क्योंकि अगली दुर्घटना किसी भी सुबह इन बसों में सवार हो सकती है।
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