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Delhi Pollution: दिल्ली में ‘जहरीला स्मॉग’ बरकरार, AQI 400 के करीब; जानें NCR में कितने इलाकों की हवा है खराब

Delhi Pollution: दिल्ली में ‘जहरीला स्मॉग’ बरकरार, AQI 400 के करीब; जानें NCR में कितने इलाकों की हवा है खराब
Delhi Pollution: दिल्ली में ‘जहरीला स्मॉग’ बरकरार, AQI 400 के करीब; जानें NCR में कितने इलाकों की हवा है खराब

Delhi Air Pollution: दिल्ली के आनंद विहार और अक्षरधाम में एक्यूआई 392 तक पहुंचा हुआ है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। वहीं दूसरी तरफ एनडीएमसी पानी का छिड़काव कर राहत दे रही है। तत्काल उपायों के साथ दीर्घकालिक नियंत्रण जरूरी, नागरिकों से सार्वजनिक परिवहन अपनाने की अपील।

Delhi Pollution: दिल्ली में ‘जहरीला स्मॉग’ बरकरार, AQI 400 के करीब; जानें NCR में कितने इलाकों की हवा है खराब

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। विभिन्न क्षेत्रों से सामने आ रहे हर दिन के आंकड़े सेहत बिगाड़ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में एक्यूआई का स्तर भिन्न-भिन्न देखा जा रहा है, लेकिन अधिकांश जगहों पर स्थिति गंभीर बनी हुई है।

दिल्ली के एम्स में 297, लोधी रोड और तिलक मार्ग के आसपास 153, आनंद विहार में 392, कर्तव्य पथ पर 278 एक्यूआई दर्ज किया गया है। लोधी रोड और तिलक मार्ग के आसपास सुबह-सुबह हवा में धुंध साफ नजर आ रही है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए घर से बाहर निकलना और सांस लेना भी मुश्किल हो सकता है।

प्रदूषण में हल्का सुधार, लेकिन राहत नहीं
राजधानी में हवा की गति तेज होने से पारा गिरने से लोगों की सांसों पर संकट बरकरार है। लेकिन, सोमवार को हवा की गुणवत्ता में सुधार आया है। इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 309 दर्ज किया गया, जिसमें रविवार की तुलना में 57 सूचकांक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, एनसीआर में गाजियाबाद की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 340 दर्ज किया गया, यह बेहद खराब श्रेणी है। वहीं, गुरुग्राम में 235, नोएडा में 312 और ग्रेटर नोएडा में 300 एक्यूआई दर्ज किया गया।

इसके अलावा, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही। यहां सूचकांक 198 दर्ज किया गया। यह हवा की मध्यम श्रेणी है। वहीं, सुबह की शुरुआत धुंध और हल्के कोहरे से हुई, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई। ऐसे में दिनभर आसमान में हल्की स्मॉग की चादर देखने को मिली। इसके चलते सुबह के समय दृश्यता भी कम रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान मंगलवार को हवा गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। इसके चलते सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सीपीसीबी के अनुसार, रविवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 15 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली।

वहीं, अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 2100 मीटर रही। इसके अलावा वेंटिलेशन इंडेक्स 15200 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा। दूसरी ओर, दोपहर तीन बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 273.4 और पीएम2.5 153.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा बेहद खराब में रिकॉर्ड की गई, जबकि कुछ इलाकों में एक्यूआई खराब रहा। वजीरपुर में 380, विवेक विहार में 402, आरके पुरम में 401, रोहिणी में 396, अशोक विहार में 350, आनंद विहार 362, अलीपुर 362, बवाना में 369 और जहांगीरपुरी में 373 समेत 10 इलाकों में एक्यूआई 350 के ऊपर दर्ज किया गया। दीपावली के बाद से दिल्ली में कई इलाकों में एक्यूआई खराब और बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है, जबकि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-2 (ग्रेप-2) के प्रतिबंध अब भी लागू हैं।

इसलिए हवा हो रही है खराब
कूड़े के पहाड़: गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लैंडफिल साइट हैं। इन तीनों साइट पर लाखों टन कूड़ा पड़ा है। यहां से उड़ने वाली धूल वायुमंडल में तैरती रहती है। कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने का प्रयास कई साल से चल रहा है। -निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल: पूरे साल दिल्ली में निर्माण कार्य चलते रहे हैं। कुछ अधिकृत होते हैं लेकिन उससे ज्यादा अनाधिकृत निर्माण कार्य होते हैं। इनमें धूल प्रबंधन के नियम ध्वस्त नजर आते हैं। जब वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो ग्रेप के नियम लागू होते हैं जब धूल प्रबंधन की याद भी आती है।

गाड़ियों से निकलता धुआं : एक आंकलन के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन एक करोड़ दोपहिया से लेकर भारी वाहन सड़कों पर उतरते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। धुएं से ज्यादा इनके टायरों से निकलने वाला मिनी पार्टिकल हवा को प्रदूषित करता है जो स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदेह होता है।

सड़कों और फुटपाथ पर धूल: सड़कों पर उड़ती धूल भी वायु प्रदूषण में अहम रोल अदा कर रही है। कुछ सड़कों पर मशीन से सफाई होती भी है तो फुटपाथ पर धूल जमी रहती है। फुटपाथ पर मशीनें नहीं चल पाती हैं। अनाधिकृत कालोनियों में कई सड़कों के साथ कच्चे फुटपाथ हैं, जहां से धूल उड़ती रहती है। इन पर रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था मजबूत नहीं हो पा रही है।

निर्माण व विध्वंस का मलबा : निर्माण कार्य व विध्वंस (सीएंडडी) से निकलने वाला मलबा सड़कों के किनारे पड़ा रहता है। दिल्ली में सीएंडडी वेस्ट से दूसरे उत्पाद तैयार करने के लिए चार प्लांट हैं। जब ये पूरी क्षमता से काम करें तो भी पांच हजार टन मलबा प्रतिदिन खपाया जा सकता है। लेकिन प्रतिदिन छह हजार टन मलबा निकलता है।

खुले में जलता कूड़ा : राजधानी में जगह-जगह खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। इस पर पूरे साल रोक होती है। लेकिन निगम इस पर पूरी तरह से नियंत्रण करने में नाकाम है। ग्रेप के दूसरे चरण के बाद भी लोग चेते नहीं हैं और जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है।

औद्योगिक उत्सर्जन : औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली और इसके आसपास कई उद्योग हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।

हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं
सीपीसीबी के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस साल अभी तक ‘गंभीर’ हवा वाला कोई दिन रिकॉर्ड नहीं किया गया है, लेकिन इस हफ्ते ऐसा होने की आशंका है। पिछली बार ऐसी रीडिंग 23 दिसंबर, 2024 को ली गई थी, जब एक्यूआई 406 रिकॉर्ड किया गया था।

दिल्ली के लिए एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूईडब्ल्यूएस) के अनुसार, रविवार शाम और रात के समय उत्तर-पश्चिम से हवा की स्पीड आठ किमी प्रति घंटे से कम हो गई, जिससे हवा में प्रदूषक तत्व का फैलाव कम हो गया है। इससे कई लोगों को खासकर फेफड़ों या दिल की बीमारियों वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं थी, जिससे धीरे-धीरे जमाव हो रहा था।

ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण का स्तर
हवा के कारण ग्रेटर नोएडा के वायु प्रदूषण में सुधार देखने को मिला। सोमवार को ग्रेनो का वायु गुणवत्ता सूचकांक ऑरेंज जोन में 300 रहा। जबकि रविवार को ग्रेनो का एक्यूआई 340 रहा था। हालांकि सुबह के समय एक्यूआई 285 रहा था। यूपीपीसीबी के अफसरों का कहना है कि हवा चलने व तापमान में वृद्धि होने के कारण एक्यूआई में सुधार हुआ है।

सर्दी शुरू होने के साथ ही ग्रेटर नोएडा की हवा प्रदूषित हो गई है। रविवार को ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 340 पहुंच गया था, लेकिन शाम को हवा चलने के कारण एक्यूआई में सुधार होने की उम्मीद थी। हवा का असर सोमवार को देखने को मिला। ग्रेनो का एक्यूआई घटकर 300 पहुंच गया। सीपीसीबी की तरफ से शाम 4 बजे जारी आंकड़ों में ग्रेनो का एक्यूआई ऑरेंज जोन में 300 रहा। हालांकि सुबह 10 बजे एक्यूआई 285 रहा था। यूपीपीसीबी के अफसरों का कहना है कि हवा बंद होने और तापमान गिरने के कारण वायु प्रदूषण फिर से बढ़ने की उम्मीद है। नमी के कारण प्रदूषण आगे नहीं बढ़ पाता है। हवा के कारण प्रदूषण एक जगह पर नहीं रुकता।

गाजियाबाद के चारों स्टेशनों की हवा हुई जहरीली
प्रदूषण का स्तर लगातार खराब श्रेणी में बरकरार है। चौबीस घंटे के अंतराल में मामूली गिरावट के साथ सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार रहा। देश के प्रदूषित शहरों में जहां गाजियाबाद छठवें स्थान पर रहा, वहीं एनसीआर के प्रमुख शहरों के मुकाबले गाजियाबाद का एक्यूआई सबसे अधिक 340 दर्ज किया गया।

हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ग्रैप के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू हैं। बावजूद इसके हवा में कोई सुधार नहीं हो पा रहा। सोमवार को न्यूनतम तापमान में दो डिग्री की गिरावट हुई। धुंध अधिक रही, इसके चलते सुबह के समय स्मॉग ज्यादा दिखा। दिन में थोड़ी धूप भी खिली। इसका असर प्रदूषण पर नहीं हुआ।

स्मॉग के सांस के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। इसके साथ ही गर्भवती महिला, बच्चे व बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ बनी हुई है। सोमवार को जनपद के चारों स्टेशनों की वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। वसुंधरा लगातार जिले का सर्वाधिक प्रदूषित इलाका बना हुआ है।

एक्यूआई में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण ग्रैप का उल्लंघन है। रविवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के छापा मारने पर भी फैक्टरियों में लकड़ियां जलाने की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा कूड़े के निस्तारण में लापरवाही, कूड़े में आग लगाने पर रोक न लगना और सड़क व निर्माण साइटों पर धूल को नियंत्रित करने के उपाय न किए जाने के कारण वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और श्वास रोगियों को समस्याएं हो रही हैं।
इनसेट

चारों स्टेशनों का एक्यूआई
इंदिरापुरम 305
लोनी 362
संजयनगर 321
वसुंधरा 370

300 के ऊपर बना हुआ है बल्लभगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक
फरीदाबाद स्मार्ट सिटी की हवा दिल्ली की तरह ही खतरनाक होती जा रही है।बीते एक हफ्ते से बल्लभगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार रविवार को बल्लभगढ़ का एक्यूआई 319 दर्ज किया गया है। वहीं फरीदाबाद का एक्यूआई 215 दर्ज किया गया है। हालांकि फरीदाबाद क्षेत्र में स्थित सेक्टर 16 ए की प्रदूषण मापक मशीन अभी तक ठीक नहीं हुई है।

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