सबरीमाला से सोने की चोरी की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मंगलवार को केरल हाईकोर्ट में अपनी पहली रिपोर्ट बंद लिफाफे में जमा कर दी। सूत्रों के अनुसार, यह रिपोर्ट न्यायमूर्ति राजा विजयाराघवन और न्यायमूर्ति केवी. जयकुमार की बेंच के सामने इन-कैमरा (खुली सुनवाई के बिना) जमा कराई गई। इस दौरान वकील मौजूद नहीं थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट में एसआईटी द्वारा की जा रही जांच की वर्तमान स्थिति का विवरण दिया गया है। सबरीमाला मामले में एसआईटी को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि वे दो सप्ताह में अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें और छह हफ्ते के भीतर पूरी जांच पूरी करें।
कब किया गया एसआईटी का गठन?
बता दें कि एसआईटी का तब गठन किया गया था जब कोर्ट को जानकारी मिली कि सबरीमाला में द्वारपालक (मंदिर के संरक्षक देवता) की मूर्तियों के सोने के लेप वाले ताम्बे के आवरण मरम्मत और नवीनीकरण के लिए हटा दिए गए थे, लेकिन कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी गई।
मामले में एसआईटी ने दर्ज किए हैं दो केस
इसके बाद सतर्कता विभाग की रिपोर्ट में देवस्वोम बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई। इस पर कोर्ट ने एसआईटी को आदेश दिया कि वे मामला दर्ज करें और जांच शुरू करें। जानकारी के मुताबिक, जांच के तहत एसआईटी ने दो मामले दर्ज किए हैं, जिसमें एक द्वारपालक मूर्तियों के प्लेट से और दूसरा श्रीकोविल के दरवाजे के फ्रेम से गायब सोने के संबंध में है।
उन्नीकृष्णन पोट्टी और TDB के अधिकारी बनाए गए आरोपी
इन मामलों में एसआईटी की तरफ से कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसमें बंगलूरू के उन्नीकृष्णन पोट्टी और कुछ त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अधिकारी भी शामिल हैं। उन्नीकृष्णन पोट्टी ने साल 2019 में द्वारपालक मूर्तियों और श्रीकोविल के दरवाजे के फ्रेम पर सोने की चढ़ाई (इलेक्ट्रोप्लेटिंग) का प्रायोजन किया था। इसके बाद उन्नीकृष्णन पोट्टी गिरफ्तार भी किया गया।