तेरे माथे मुकुट विजार रहियो श्री गोवर्धन महाराज…………..
रविवार से श्री रामलीला मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में विश्व विख्यात आचार्य अतुल कृष्ण शास्त्री संगीत की स्वर लहरियसों के साथ भक्ति की बया रवह रही है। वह अपनी मुधरवाणी से श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करा रहे हैं। कथा के चैथे दिन आचार्य ने गोवर्धन लीला का रोचक वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता भाव विभोर हो नृत्य करने लगे।
गुरूवार को भगवान श्री कृष्ण की वाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन करते हुए कहा कि कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से कंस के भेजे गए विभिन्न राक्षसों का संहार किया। तत्पश्चात गोवर्धन लीला का वृतांत सुनाते हुए कहा कि जब भगवान श्री कृष्ण नंद गांव पहुंचे तो वहां पर इंद्र की पूजा की तैयारी चल रही थी। भगवान ने यज्ञ बंद करवा दिया। इसके बाद अंहकारी इंद्र ने भीषण वर्षा की, इंद्र का घमंड चकनाचूर करने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को तर्जनी अंगुली में उठाते हुए नंदगांव के लोगों की रक्षा की। लीला का वर्णन सुन श्रोता भावविभोर हो गए। गोर्वधन लीला का वर्णन सुन कथा पंडाल जय श्री कृष्ण के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्य ने कथा विश्राम में बताया कि भागवत कथा सुनने से जीवन का सुधार संभव है। भागवत धर्म की प्रतिष्ठा के लिए है। माता-पिता का सेवा करना ही सबसे बड़ा पुण्य है। उन्होंने ने कहा कि प्रभु सभी पालन हार है। जब जीव धर्म का रक्षा करता है तब धर्म भी उस जीव का रक्षा करता है। अपने धर्म का रक्षा करना सनातन धर्म का रक्षा करना समस्त प्राणी का कर्तव्य है। जब तक जीते रहिए तब तक समाज सेवा करते रहिए और मरते मरते कुछ ऐसा कर जाएं ताकि देश देशांतर समयांतर आपको याद करते रहे। इस मौके पर यज्ञाचार्य पं. राजकृष्ण महाराज, किशोर अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, उमाशंकर अग्रवाल, दिनेश चंद्र अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल, भुवनेश अग्रवाल, विपिन अग्रवाल, एवं सैकडों श्रोता भक्त मौजूद रहे।