देश की राजधानी दिल्ली को दहलाने की फिराक में रहे आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इस वीडियो में उमर अंग्रेजी में तकरीर करता हुआ दिखाई दे रहा है और आत्मघाती बमबारी को जायज ठहरा रहा है। वीडियो में उमर अकेला नजर आ रहा है और उसने एक कमरे में बैठकर यह वीडियो रिकॉर्ड किया है।
आत्मघाती हमलों पर उमर का विवादास्पद तर्क
वीडियो में उमर ने आत्मघाती हमलों की अवधारणा को गलत समझे जाने का दावा किया है। उसका कहना है कि लोग इस विचार की मूल भावना को समझने में असफल रहते हैं कि आत्मघाती बम विस्फोट का असली मतलब क्या है। उसने स्वीकार किया कि इसके खिलाफ कई तरह के विरोधाभास और अनगिनत तर्क मौजूद हैं।
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वीडियो में उमर मोहम्मद ने कहा कि “जिसे आत्मघाती बम विस्फोट कहा जाता है, वह अवधारणा बहुत ही गलतफहमी में से एक है। यह एक शहादत अभियान है… जिसे इस्लाम में जाना जाता है।” वह आगे स्वीकार करता है कि इस अवधारणा के खिलाफ कई तर्क दिए गए हैं, और इसमें विरोधाभास भी है। उमर के अनुसार, “शहादत” अभियान वह होता है जिसमें व्यक्ति यह मान लेता है कि उसकी मौत किसी खास जगह और समय पर होगी तो वह एक खतरनाक मानसिक अवस्था में पहुंच जाता है। वह मानने लगता है कि मौत ही उसका अंतिम लक्ष्य है।
डॉ. उमर मोहम्मद ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि उसकी मौत कब और कहां होगी, और यह तभी संभव है जब यह नियति में लिखा हो। उसने अपने वीडियो संदेश में कहा कि “मौत से मत डरो।”
कट्टरपंथी सोच का प्रमाण
वीडियो में उमर मोहम्मद का अंग्रेजी लहजा अलग और स्पष्ट है। उसकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि वह आत्मघाती बम विस्फोट और “शहादत” जैसे विषयों पर गहराई से विचार करता था, जो उसकी पूरी तरह से कट्टरपंथी सोच को दर्शाता है। एक शांत और संयमित व्यक्ति द्वारा जघन्य कृत्य को सही ठहराने का यह वीडियो, भारत में आतंकवाद के एक नए, शिक्षित, कट्टरपंथी चेहरे को सामने लाता है।
सोच-समझकर रची गई साजिश
यह वीडियो इस बात की भी पुष्टि करता है कि दिल्ली कार विस्फोट की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई गई थी। यह इस अटकल को खारिज करता है कि विस्फोटकों को ले जाते समय यह अनजाने में हुआ होगा। यह घटना भारत में सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती है, जो ऐसे कट्टरपंथी तत्वों से निपटने की रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर हैं।
दिल्ली के लाल किला के पास 10 नवंबर को हुए बम धमाके में 14 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 20 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं। लाल किला के पास हुए बम धमाके की जांच के दौरान पुलिस को कुछ चौंकाने वाले सुराग मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी तक की जांच में पता चला है कि कुल 68 संदिग्ध मोबाइल नंबर सुनहरी बाग पार्किंग और बम धमाके वाली जगह पर एक्टिव थे। यही 68 मोबाइल नंबर अब जांच का केंद्र बन गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इन नंबरों पर पाकिस्तान और तुर्किये से कॉल आई थीं।
पाकिस्तान और तुर्किये से आने वाली कॉल, इंटरनेट रूटिंग और विदेशी सर्वर से जुड़ रहे फोन पर विशेष निगरानी शुरू कर दी है। धमाके के बाद पुलिस ने सुनहरी बाग और लाल किला के पास मोबाइल टॉवर से डंप डाटा उठाया। उसकी मदद से कई तकनीकी जानकारियां सामने आई हैं। अब जांच उसके आधार पर आगे बढ़ाई जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि संदिग्ध नंबरों पर धमाके से ठीक पहले भारतीय नेटवर्क पर असामान्य डेटा-स्पाइक्स (डाटा का आदान-प्रदान हुआ) दर्ज कराया गया। सबसे अहम जानकारी विस्तृत फोन-मैपिंग के जरिये मिली है। डॉ. उमर की कार सुनहरी बाग पार्किंग में तीन घंटे से अधिक समय तक खड़ी रही उस दौरान उसके 30 मीटर के दायरे में 187 फोन नंबर सक्रिय पाए गए।
बम विस्फोट जहां हुआ वहां पर पांच मिनट पहले और पांच मिनट बाद कुल 912 फोन सक्रिय मिले। दोनों स्थानों की डिजिटल लोकेशन-हिस्ट्री के मिलान में कुल 68 मोबाइल नंबर ऐसे मिले जो दोनों जगह पर उसी समय सक्रिय थे। यही 68 नंबर जांच का केंद्र बन गए हैं।
सूत्रों की मानें तो इनमें से कई नंबर एक ही विदेशी सर्वर से जुड़े हैं, जिसने पाकिस्तान और तुर्किये दोनों देशों के आइपी-क्लस्टर के बीच लगातार स्विच ओवर दिखाया है। जांच एजेंसियां आशंका जता रही हैं कि इन सबके के लिए अलग-अलग प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल हुआ।
जांच एजेंसियां पता लगा रही हैं कि कौन-कौन से फोन विस्फोट से कुछ मिनट पहले किस विदेशी आईपी से लिंक हुए। शुरुआती जांच में घटना स्थल पर मौजूद दो फोन ऐसे मिले हैं, जिनमें मिनट-टू-मिनट लोकेशन शिफ्ट हुई। इससे संकेत मिलता है कि फोन को ‘स्पूफ’ (यानी दूसरे नेटवर्क पर डाला गया) किया गया। इनका जांच एजेंसियां पता लगा रही हैं।