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Satara Doctor Suicide Case: सतारा केस में बड़ी कार्रवाई, आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सेवा से किया गया बर्खास्त

Satara Doctor Suicide Case: सतारा केस में बड़ी कार्रवाई, आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सेवा से किया गया बर्खास्त
Satara Doctor Suicide Case: सतारा केस में बड़ी कार्रवाई, आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सेवा से किया गया बर्खास्त

सतारा की महिला डॉक्टर आत्महत्या मामले में आरोपी निलंबित पीएसआई गोपाल बदाने को कोल्हापुर रेंज के विशेष आईजी सुनील फुलारी ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है। डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में बदाने पर उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था।

Satara Doctor Suicide Case: सतारा केस में बड़ी कार्रवाई, आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सेवा से किया गया बर्खास्त
सतारा की महिला डॉक्टर आत्महत्या मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने बड़ा फैसला लिया है। कोल्हापुर केआईजी सुनील फुलारी ने आरोपी निलंबित पुलिस उप-निरीक्षक (पीएसआई) गोपाल बडाने को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यानी अब आरोपी को नौकरी वापस मिलने की कोई संभावना नहीं है। यह कार्रवाई आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर आरोपों के बाद की गई है, जिसने पूरे राज्य में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।

यह मामला सतारा जिले की युवा महिला डॉक्टर की संदिग्ध आत्महत्या से जुड़ा है, जिसने अपनी हथेली पर आरोपी पीएसआई गोपाल बडाने का नाम लिखकर सुसाइड किया था। महिला डॉक्टर ने आरोप लगाया था कि बडाने ने मानसिक उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया। मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को पहले निलंबित कर दिया था।

जांच में क्या-क्या खुलासे हुए?
आंतरिक जांच में पाया गया कि आरोपी बडाने का व्यवहार पुलिस सेवा की मर्यादा के खिलाफ था। रिपोर्ट आने के बाद विशेष आईजी सुनील फुलारी ने उसे सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। इस बीच, आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज है। फिलहाल मामले की जांच सतारा पुलिस की विशेष टीम कर रही है। इस बीच आईजी फुलारी ने ये भी कहा कि पुलिस बल में अनुशासन सर्वोपरि है और किसी भी तरह की आपराधिक प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

क्या बोले महिला डॉक्टर का परिवार?
महिला डॉक्टर के परिवार ने बर्खास्तगी को न्याय की दिशा में पहला कदम बताया है। परिजनों ने कहा कि अगर यह कार्रवाई पहले होती, तो शायद बेटी की जान बच सकती थी। स्थानीय महिला संगठनों और डॉक्टर समुदाय ने भी सरकार से मांग की है कि ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम तुरंत उठाए जाएं, ताकि भविष्य में कोई और पीड़िता इस स्थिति से न गुजरे। वहीं, जांच एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि आरोपी ने अपने पद का दुरुपयोग कैसे किया और क्या इसमें अन्य लोग भी शामिल थे।

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Author: planetnewsindia

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