सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची के मसौदे से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिए जाने के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को इस निर्देश को “आशा की किरण” बताया और कहा कि शीर्ष अदालत ने संविधान को “स्पष्ट, ठोस और साहसी” तरीके से बरकरार रखा है। विपक्षी दल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लोगों की “साजिशों” से गणतंत्र को बचाने के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड़ा है, लेकिन बिहार मतदाता सूची संशोधन मुद्दे पर शीर्ष अदालत का निर्देश एक “बड़ा पहला कदम” है।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने स्पष्ट, ठोस और साहसिक फैसले से भारत के संविधान की रक्षा की है। हमारे गणराज्य को प्रधानमंत्री और उनके लिए ढोल पीटने वालों की साजिशों से बचाने की एक लंबी लड़ाई है, लेकिन बिहार एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला उम्मीद की एक किरण है। यह पहला बड़ा कदम है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह जिला निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण, कारण सहित प्रकाशित करे। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह हटाए गए मतदाताओं की सूची का कारण सहित अखबारों, रेडियो और टीवी मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करे। बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची से नाम हटाए जाने से पीड़ित लोग आधार कार्ड के साथ दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी के साथ कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।