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22 अप्रैल की दहशत नहीं भूले लोग: पहलगाम तक पहुंचे पर्यटक, पर बायसरन नहीं देख पाने का मलाल लिए लौट रहे सैलानी

22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन में हुए आतंकी हमले के बाद इलाके में सुरक्षा कारणों से अब भी पाबंदियां जारी हैं, जिससे पर्यटक मिनी स्विट्जरलैंड न देख पाने की टीस लिए लौट रहे हैं।

Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland

 

मिनी स्विट्जरलैंड का जिक्र आते ही कुछ वक्त पहले सिर्फ बायसरन की खूबसूरती पर बात होती थी। बदकिस्मती से इस खूबसूरती को किसी की नजर लग गई। इस स्थान का जिक्र आते ही बस आंखों के सामने आती है 22 अप्रैल की वो दोपहर और निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या

दौड़ते-भागते लोग और चारों तरफ बिखरा खून। ये स्मृतियां एक बार फिर मई की 22 तारीख को ताजा हो उठीं। जब हम उस रास्तों पर पहुंचने को हुए तो यूं लगा कि बायसरन की हद शुरू होने से चार किमी पहले तक पसरा सन्नाटा उस पल के खौफ और दहशतगर्दी की दास्तां सुना रहा है।
Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland
हमले को एक माह बीता, बायसरन अब भी खामोश
बायसरन हमले के एक माह पूरा होने पर हमने ग्राउंड जीरो से जानना चाहा कि पहलगाम और बायसरन कितना उबर पाया उस दहशत से। बहुत कुछ बदल गया है। रौनक अब नहीं रही। हां, यहां के लोगों में एक उम्मीद जिंदा है कि वीरानी जाएगी और चहल-पहल लौटेगी।

हम गुरुवार की दोपहर में पहलगाम के सर्किट हाउस वाली रोड पर थे। इससे कुछ दूर आगे से बायसरन का रास्ता शुरू होता है। हमें यहीं रुकना था, क्योंकि कुछ किलोमीटर आगे तारबंदी थी। बायसरन से चार किलोमीटर पहले सुरक्षाबलों के जवान उस स्थान पर पहरा दे रहे हैं।

Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland
एनआईए ने इलाके को पूरी तरह से सील किया है
आगे जाने से रोकने के लिए सड़क पर कंटीली तार भी बिछाई गई है।सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि हमले के तुरंत बाद इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अपने हाथों में लेने के बाद से सबूतों को तलाशने और जांच प्रक्रिया के तौर पर इलाके को सील किया गया था। साथ ही सुरक्षा कारणों के चलते कई अन्य पर्यटन स्थलों को भी बंद रखा गया है।

Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland
पर्यटक बोले- इतनी दूर आकर इसे न देख पाने का मलाल है
हम जहां तक जा सकते थे गए, फिर पहलगाम लौटे। वहां हमें राजस्थान से आए लोकेंद्र मिले। कहते हैं कि हमारा पहले से ही पहलगाम आने का प्लान बना हुआ था। खबरों में हालातों के बारे में सुनकर थोड़ा डर जरूर था, लेकिन कुछ स्थानीय मित्रों के आश्वासन पर हम प्लान के तहत यहां घूमने चले आए। जिसका कोई अपना चला जाता है, उसको तो डर लगेगा ही, लेकिन अभी तक हम जहां भी गए सब ठीक ही लगा। बायसरन न जा पाने का मलाल है।

Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland
पर्यटक बोले इस बार नहीं सही, अगली बार जरूर आएंगे बायसरन
इस बार न सही, हालात हम समझते हैं, फिर आएंगे जल्द हीएक अन्य पर्यटक ब्रह्माकुमारी रचना ने कहा कि पहलगाम का मौसम और हसीन वादियां बेहद शानदार हैं। कश्मीर सही में धरती का स्वर्ग है। मिनी स्विट्जरलैंड देखने का मन था, लेकिन वहां तक जाना अभी मना है। अगली बार जब भी आऊंगी, बायसरन जरूर जाऊंगी, क्योंकि जिसने मिनी स्विट्जरलैंड नहीं देखा, उसका पहलगाम आना अधूरा है।

Tourists who reached Pahalgam are returning with the pain of not being able to see Mini Switzerland
दिन में करीब 40-50 पर्यटक आ रहे हैं
कुछ आगे बढ़ने पर ढाबे वाले शब्बीर हुसैन से हम हाल जानने की कोशिश करते हैं। मानो उनके दिल का गुबार बाहर आता है। कहते हैं कि रौनक छीन ली दहशतगर्दों ने। शब्बीर व उनके साथियों ने घटना की निंदा कर प्रदर्शन भी किया था। शब्बीर कहते हैं कि पहली बार ऐसा हुआ है कि निहत्थों को मारा गया। इससे पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन अब थोड़े पर्यटक आने शुरू हुए और हमारी भी आस जगी है। दिन में करीब 40-50 पर्यटक आ रहे हैं।

छूट देकर संख्या बढ़ाने की कोशिशपहलगाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष जावेद बुर्जा ने बताया कि इस समय पहलगाम में धीरे-धीरे कारोबार उठना शुरू हुआ है। करीब 10-12 प्रतिशत की बुकिंग है और आगे के लिए भी पूछताछ शुरू हो गई है। हम भी डिस्काउंट दे रहे हैं और जो भी पर्यटक आएगा, उसे हम 50 प्रतिशत का डिस्काउंट देंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है

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Author: planetnewsindia

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