Mahakumbh: अमेरिका की आबादी से अधिक लोगों ने अब तक संगम में लगाई डुबकी; आखिरी अमृत स्नान से पहले बना रिकॉर्ड
वसंत पंचमी के बाद महाकुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 37 करोड़ पार कर गई। वसंत पंचमी अमृत स्नान पर्व पर शाम छह बजे तक ही 2.33 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे। वहीं, रविवार तक कुल 34.97 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे।
महाकुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या विश्व के तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश अमेरिका से भी अधिक हो गई है। अमेरिका की जनसंख्या 34.11 करोड़ है। जबकि, संगम में रविवार को ही 34.97 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। सोमवार को तो स्नान करने वालों का आंकड़ा 37 करोड़ पार कर गया।

पांच बजे भोर में को संगम जाने वाले अखाड़ा मार्ग के दोनों तरफ से लेकर वाच टावर से लेकर संगम अपर और संगम लोअर मार्ग के दोनों तरफ की चकर्ड प्लेट सड़कों की पटरियों पर तिल रखने की जगह नहीं बची। त्रिवेणी पांटून पुल से संगम जाने वाले मार्ग पर ढोल, ताशे के बीच शाही सवारियों का हर किसी को इंतजार था। चाहे लाल मार्ग को या काली मार्ग या फिर त्रिवेणी मार्ग, हर तरफ से लोग झूमते, ठिठकते संगम में डुबकी लगाने पहुंचे।

- 2700 सीसीटीवी कैमरे से की गई महाकुंभ में वसंत पंचमी स्नान पर्व पर निगरानी
- 40 अफसरों ने संभाली स्नान पर्व की जिम्मेदारी
- 12 किमी लंबे तट के 42 घाटों पर वसंत की डुबकी लगाकर धन्य हुई दुनिया
- 10:25 घंटे तक लगातार चला अमृत स्नान

संगम पर संस्कृतियों का समागम
संगम तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी। हर तरफ सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति -पंथ के लोग थे। विदेशी श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इस्राइली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के भक्तों ने डुबकी लगाकर सनातन की संस्कृति को साझा किया।
संगम तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी। हर तरफ सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति -पंथ के लोग थे। विदेशी श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इस्राइली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के भक्तों ने डुबकी लगाकर सनातन की संस्कृति को साझा किया।

शैव-वैष्णव और शाक्त का मिलन
महाकंभ में सनातन परंपरा को मनाने वाले शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी से लेकर भारशिव, अघोरी, कपालिक सभी पंथ और संप्रदायों के साधु, संत एक साथ मिलकर अपने-अपने रीति-रिवाजों से पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे थे। संगम तट पर लाखों की संख्या में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचे। अलग-अलग जाति, वर्ग, भाषा को बोलने वाले साथ मिलकर महाकुंभ की संस्कृति को साकार करते रहे।
महाकंभ में सनातन परंपरा को मनाने वाले शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी से लेकर भारशिव, अघोरी, कपालिक सभी पंथ और संप्रदायों के साधु, संत एक साथ मिलकर अपने-अपने रीति-रिवाजों से पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे थे। संगम तट पर लाखों की संख्या में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचे। अलग-अलग जाति, वर्ग, भाषा को बोलने वाले साथ मिलकर महाकुंभ की संस्कृति को साकार करते रहे।