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पापा आंख तो खोलो…’, पिता के पार्थिव शरीर को देख फफक पड़ा Shamli Encounter में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुनील का बेटा

शहीद इंस्पेक्टर सुनील कुमार मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के मंसूरी गांव के रहने वाले थे. गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को मेरठ की पुलिस लाइन लगा गया जहां एडीजी डीके ठाकुर सहित जिले के सभी आला अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. फिर सुबह करीब नौ बजे सुनील कुमार का पार्थिव शरीर पुलिस लाइन के  शहीद स्मारक लाया गया. इसके बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया. 

शामली एनकाउंटर में शहीद हुए यूपी STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार का पार्थिव शरीर जब उनके निवास पर पहुंचा तो परिवार में कोहराम मच गया. अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. इस दौरान सुनील कुमार के बेटे श्रद्धांजलि देते हुए फफक पड़े. बेटे ने जब रोते-बिलखते हुए कहा कि ‘पापा एक बार तो आंख खोल लो’ तो वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं. किसी तरह उन्हें ढांढस बंधाया गया. मौके पर ADG, DIG, SSP समेत कई आला अधिकारी मौजूद रहे.

आपको बता दें कि सुनील कुमार मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के मंसूरी गांव के रहने वाले थे. गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को मेरठ की पुलिस लाइन लगा गया, जहां एडीजी डीके ठाकुर सहित जिले के सभी आला अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. फिर सुबह करीब नौ बजे सुनील कुमार का पार्थिव शरीर पुलिस लाइन के शहीद स्मारक लाया गया. यहां ADG, DIG, SSP की मौजूदगी में सलामी दी गई.टीम के अधिकारी भी मौजूद रहे. इस बीच ADG-SSP ने सुनील कुमार को कंधा भी दिया.

वहीं, अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए सुनील के परिजन भी पुलिस लाइन पहुंचे थे. इस दौरान बेटा मंजीत श्रद्धांजलि देते समय फफक पड़ा. मंजीत रोते हुए बोले- ‘पापा आंख तो खोल लो, प्लीज…आज तो बोल दो’ श्रद्धांजलि देते वक्त मंजीत का रो-रोकर बुरा हाल था. किसी तरह उसे संभाला गया. ये दृश्य देखकर सभी लोग भावुक हो गए. आखिर में सुनील कुमार के पार्थिव शरीर गांव के लिए ले जाया गया, जहां पर अंतिम संस्कार किया जाएगा.

मालूम हो कि यूपी STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार बुधवार को शहीद हो गए थे. सोमवार की रात सुनील कुमार और उनकी टीम ने शामली में कग्गा गैंग के 4 बदमाशों का एनकाउंटर किया था. मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में तीन गोली लगी थी. इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

1971 में जन्मे सुनील कुमार मूल रूप से मेरठ के रहने वाले थे. 1990 में सुनील पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे. 2009 से वह एसटीएफ में सेवाएं दे रहे थे. इससे पहले सुनील लंबे समय तक पीएसी में रहे थे. सुनील कुमार मुख्य आरक्षी से प्लाटून कमाण्डर और दलनायक के पद पर प्रमोट होकर पहुंचे थे. उन्होंने कई एनकाउंटर किए, बड़े बदमाशों को मारने वाली टीम में शामिल रहे, साथ ही कई पदक भी हासिल किए थे

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