Mahakumbh 2025 : अखाड़ों में ‘राष्ट्रपति शासन’, महाकुंभ में ही चुनी जाएगी नई सरकार… छह साल के लिए

निरंजनी अखाड़े के महंत शिव वन के मुताबिक सोलह सदस्यों की कमेटी ही सचिव समेत अन्य पदाधिकारी के चयन पर निर्णय लेती है। अष्ट कौशल इनकी मदद से अखाड़ों के
सभी आध्यात्मिक एवं आर्थिक कामकाज संचालित करते हैं। पैसों का पूरा हिसाब-किताब भी अष्ट कौशल ही रखते हैं। प्रयागराज में अखाड़ों की छावनी स्थापित होने के साथ ही अष्ट कौशल समेत अन्य कार्यकारिणी कार्यकाल पूरा होने के कारण स्वत: भंग हो गईं। पूरे महाकुंभ तक पंचायती परंपरा के मुताबिक फैसले लिए जाएंगे। इसके लिए धर्म ध्वजा के पास ‘चेहरा-मोहरा’ स्थापित हुआ है।
जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के मुताबिक अखाड़ों के छावनी प्रवेश करते ही कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा मान लिया जाता है। इसके बाद कुंभ मेले की पूरी व्यवस्था ‘चेहरा-मोहरा’ के जरिये होती है। कुंभ की व्यवस्थाएं देखने के लिए कार्यकारिणी बनती है। इसका संचालन प्रधान करते हैं। चेहरा-मोहरा में सभी महंत बैठकर आवश्यक निर्णय लेते हैं। कुंभ में ही यह स्थापित होता है। महाकुंभ समापन के पहले अष्टकौशल बनाए जाएंगे। इनका कार्यकाल अगले छह साल का रहेगा।
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