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U.P : ठंड में कान ढंके बिना बाइक चलाने वालों को पड़ रहा बहरेपन का अटैक

कान ढंके बिना बाइक चलाने वालों को बहरेपन का अटैक पड़ रहा है। रोगियों के कान के अंदर की धमनी में रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है। सुनाई पड़ना  बंद हो जाता है। तीन दिन के अंदर इलाज कराने पर राहत मिलती है। पांच दिन बीतने पर रिकवरी देर में होती है।

ठंड में कान खोलकर बाइक चलाने और घूमने पर बहरेपन का अटैक पड़ रहा है। लोगों के कान सुन्न पड़ जा रहे हैं और सुनाई नहीं पड़ रहा है। इलाज कराने में देर होने पर बहरापन पूरी तरह से ठीक नहीं हो रहा है। बहरेपन का अटैक के रोगियों में 30 से 50 साल आयु वर्ग के लोग अधिक हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह ठंड में हार्ट अटैक होता है, उसी तरह कान का बहरेपन का अटैक है। इस बार इस तरह की तकलीफ लेकर पहुंचने वाले रोगियों की संख्या अधिक है। कानपुर ईयर फाउंडेशन ने इन रोगियों का ब्योरा तैयार करना शुरू किया है।

रोगियों को अचानक सुनाई पड़ना बंद
फाउंडेशन ने जिन 86 रोगियों का ब्योरा तैयार किया है, उनकी हिस्ट्री के मुताबिक रोगियों को अचानक सुनाई पड़ना बंद हो गया। जिन रोगियों ने तीन दिन के अंदर इलाज करा लिया, उन्हें तो सुनाई पड़ने लगा लेकिन जिसने पांच दिन से अधिक समय लगा दिया, उनकी रिकवरी में देर हुई। कुछ रोगियों की श्रवण शक्ति पूरी तरह वापस नहीं आई।

कानों में बहरेपन की शिकायत
फाउंडेशन के अध्यक्ष वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. देवेंद्र लालचंदानी ने बताया कि रोगियों के कान के अंदर की धमनी में रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती। इससे अचानक बहरापन आ जाता है। डॉ. लालचंदानी ने बताया कि ठंड के मौसम में बीते सालों में सात-आठ रोगी आते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी संख्या सामान्य की अपेक्षा 10 गुना बढ़ गई है। जो रोगी आए हैं, उनके दोनों कानों में बहरेपन की शिकायत रही है।

80 रोगियों में 60 पुरुष रोगी
ज्यादातर रोगी 30 से 50 साल आयु वर्ग के रहे हैं। इनमें पुरुषों की संख्या अधिक है। 80 रोगियों में 60 पुरुष रोगी हैं और 20 महिलाएं हैं। युवा रोगियों के ब्योरे से पता चला है कि वे बाइक बिना कान बंद किए चलाते रहे हैं। इससे ठंड लग गई। बहरेपन की दिक्कत आ गई। इसके अलावा देर रात बिना कान बंद किए घूमने वालों को भी यह दिक्कत हो रही है।
72 घंटे का होता है गोल्डन ऑवर
कान की धमनी में रक्त आपूर्ति बंद होने से अचानक बहरेपन के इलाज के लिए गोल्डन ऑवर 72 घंटे का होता है। इस दौरान रोगी को स्टीरॉयड और खून का बहाव बढ़ाने वाली दवा दी जाती है। पांच दिन से अधिक समय होने पर स्थायी बहरेपन का खतरा रहता है। इसके अलावा रिकवरी बहुत धीमी होती है।
इसलिए होता है अचानक बहरापन
कान के अंदर कॉक्लियर धमनी होती है। ठंड में तेज हवा लगने से इसमें सिकुड़न आती है। इससे कॉक्लियर धमनी में खून का प्रवाह बाधित हो जाता है। रक्त आपूर्ति न होने पर कान का न्यूरो एपीथिलियम खराब होता है। इससे अचानक सुनाई पड़ना बंद हो जाता है।
बहरापन होने पर रोगियों में बढ़ता अवसाद
विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक बहरापन आने से रोगियों में अवसाद बढ़ने लगता है। उनके अंदर घबराहट आती है। जिन रोगियों का ब्योरा लिया गया, उनमें ज्यादातर में अवसाद के लक्षण मिले हैं।
बचाव के लिए ये करें
-बाइक चलाएं तो हेलमेट जरूर पहनें
-बाहर निकलने पर कान पर मफलर बांध लें
-देर रात की पार्टियों में जाएं तो कान, गला गर्म कपड़े से लपेटे रहें
-जिस कमरे में सोएं, उसका तापमान सामान्य रखें
-अचानक बहरापन आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

 

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Author: planetnewsindia

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