सतना पुलिस की ‘मेहमान नवाजी’: हेड कांस्टेबल ने चोरी के आरोपियों को खिलाई खैनी, एसपी ने दिए जांच के आदेश

सतना जिले में पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने वाला एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। सिविल लाइन थाना क्षेत्र में चोरी के दो आरोपियों की मेडिकल जांच के दौरान हथकड़ी लगे होने के बावजूद प्रधान आरक्षक तीरथ प्रसाद उन्हें अपने हाथों से गुटखा और तंबाकू देते नजर आए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस की छवि पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
कैसे सामने आया मामला?
17 नवंबर को सिविल लाइन थाना पुलिस ने चोरी की लगातार हो रही वारदातों का पर्दाफाश करते हुए विकास विश्वकर्मा और संदीप वंशकार नामक दो बदमाशों को गिरफ्तार किया था। पुलिस इनसे लगभग पांच चोरी की घटनाओं का खुलासा कर चुकी है। गिरफ्तार आरोपियों को मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया था। यहीं अस्पताल चौकी के पास हथकड़ी लगे दोनों आरोपी खड़े थे, तभी प्रधान आरक्षक तीरथ प्रसाद कैमरे में कैद हो गए, जब वे खुद तंबाकू–गुटखा रगड़कर दोनों के हाथ पर रख रहे थे।
वीडियो ने खड़ा किया विवाद
वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि दोनों आरोपी शांतिपूर्वक तंबाकू खा रहे हैं, जबकि आसपास मौजूद पुलिसकर्मी इसे सामान्य मानकर खड़े हैं। यही दृश्य सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से का कारण बना। लोगों ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पुलिस का कर्तव्य नहीं, बल्कि अपराधियों को “वीआईपी सौगात” देने जैसा है।
नशा मुक्ति अभियान की भी हुई किरकिरी
विडंबना यह है कि पुलिस ही स्कूलों और मोहल्लों में जाकर नशा मुक्त समाज का संदेश देती है, लेकिन इसी विभाग के एक कर्मचारी द्वारा आरोपियों को नशा कराना लोगों के लिए चौंकाने वाला रहा। कई लोगों ने तंज कसते हुए सवाल उठाए – “जब पुलिस ही नशा बांटेगी, तो अभियान किसके लिए चला है?”
आरोपियों का आपराधिक इतिहास
दोनों आरोपी लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय चोरी गिरोह के सदस्य बताए जाते हैं। घरों के ताले तोड़कर चोरी करना और रात में वारदात करना इनकी आदत बन चुकी थी। पुलिस इनसे बरामद चोरी का सामान भी जब्त कर चुकी है।
CSP ने जांच के आदेश दिए
CSP देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि वीडियो की जानकारी उन्हें सोशल मीडिया से मिली है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है और जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल प्रक्रिया के दौरान इस तरह की हरकत गंभीर लापरवाही मानी जाएगी और उचित अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे।
