Planet News India

Latest News in Hindi

East Asia Summit के मंच पर PM मोदी की धाक, उद्धाटन स्पीच के तुरंत बाद बुलाया गया संबोधन के लिए

प्रधानमंत्री मोदी लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. यहां बैठक को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा, “भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है. दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. सूत्रों के अनुसार, .मौजूदा मेजबान और अगले सम्मेलन के मेजबान के बाद पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले पहले नेता रहे. इसे बडी कामयाबी के तौर पर देखी जा रही है..और इसे आसियान देशों के बीच भारत के बढ़ते असर के रूप में भी देखा जा रहा है.

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी का उल्लेख एकमात्र ऐसे नेता के रूप में किया गया जिन्होंने सबसे अधिक पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में सबसे अधिक भाग लिया है. पीएम 19 पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में से नौ में शिरकत कर चुके हैं.

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) भाग लेने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों/सरकार प्रमुखों की बैठक को संदर्भित करता है, जो सालाना आयोजित की जाती है. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की शुरुआत 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में पहले पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के आयोजन के साथ हुई थी. अपनी शुरुआत में, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में 16 प्रतिभागी देश शामिल थे.

यह युद्ध का युग नहीं है- पीएम मोदी

East Asia Summit अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने हमेशा आसियान एकता और केंद्रीयता का  समर्थन किया है. PM मोदी ने कहा, ‘म्यांमार की स्थिति पर हम आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं. हम Five-point कन्सेन्सस का भी समर्थन करते हैं…एक पड़ोसी देश के नाते, भारत अपना दायित्व निभाता रहेगा.’

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्षों के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों  का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर हो रहा है. सभी चाहते हैं कि चाहे यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली …

PM मोदी ने कहा, ‘मैं बुद्ध की धरती से आता हूँ, और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. समस्याओं का समाधान रणभूमि नहीं निकल सकता. संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का आदर करना आवश्यक है. मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए, डायलॉग और diplomacy को प्रमुखता देनी होगी. विश्वबंधु के दायित्व को निभाते हुए, भारत इस दिशा में हर संभव योगदान करता रहेगा.’

planetnewsindia
Author: planetnewsindia

8006478914,8882338317

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *