Lok Sabha Election 2024: बंगाल में कांग्रेस ने अधीर रंजन समेत इन उम्मीदवारों के तय किए नाम, ममता से गठबंधन पर अब तक नहीं बनी बात
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Lok Sabha Election 2024: बंगाल में कांग्रेस ने अधीर रंजन समेत इन उम्मीदवारों के तय किए नाम, ममता से गठबंधन पर अब तक नहीं बनी बात
Lok Sabha Election 2024 बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट से अब तक सीटों को लेकर समझौता नहीं होने के मद्देनजर कांग्रेस का बंगाल नेतृत्व राज्य में अपने बूते चुनाव लड़ना चाहता है। बंगाल कांग्रेस की चुनाव कमेटी ने तो राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी भी तय कर लिए हैं और उसकी सूची भी पार्टी हाईकमान को भेज दी है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Lok Sabha Election 2024 तृणमूल कांग्रेस से बात न बनते देख और वाममोर्चा के साथ अब तक सीटों को लेकर समझौता नहीं होने के मद्देनजर कांग्रेस का बंगाल नेतृत्व राज्य में अपने बूते चुनाव लड़ना चाहता है।
सभी 42 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी तय
बंगाल कांग्रेस की चुनाव कमेटी ने तो राज्य की सभी 42 लोकसभा (लोस) सीटों के लिए प्रत्याशी भी तय कर लिए हैं और उसकी सूची भी पार्टी हाईकमान को भेज दी है। चुनाव की घोषणा होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। पार्टी हाईकमान की ओर से बंगाल को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे बंगाल के नेता-कार्यकर्ता अनिश्चितता की स्थिति में हैं और उनमें निराशा बढ़ रही है।
ये हैं प्रत्याशियों के नाम
भाजपा बंगाल की 20 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुकी है। इससे भी बंगाल नेतृत्व में बेचैनी बढ़ी है। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी हाईकमान को प्रत्याशियों की जो सूची भेजी गई है, उसमें बहरमपुर से बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, दार्जिलिंग से शंकर मालाकार, पुरुलिया से नेपाल महतो, तमलुक से लक्ष्मण सेठ, बालुरघाट से सौरव प्रसाद, जादवपुर से सौम्य आइच, मालदा दक्षिण से इशा खान चौधरी, उत्तर कोलकाता से रणजीत मुखोपाध्याय और दक्षिण कोलकाता से आशुतोष चट्टोपाध्याय के नाम उल्लेखनीय हैं।
खबर यह भी है कि डायमंड हार्बर सीट को इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नौशाद सिद्दिकी के लिए छोड़ा जा सकता है। इसी तरह मुर्शिदाबाद सीट पर माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस उनका समर्थन करेगी।
अधीर रंजन चाह रहे वाममोर्चा से गठबंधन
अधीर रंजन चौधरी बंगाल में माकपा की अगुआई वाले वाममोर्चा के साथ गठबंधन चाहते हैं, जबकि पार्टी हाईकमान का रूझान तृणमूल की तरफ दिख रहा है। ऐसे में अधीर को दबाव में आकर कहना पड़ गया कि केंद्रीय नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, वे उसे स्वीकार करेंगे।