जिस घर में बेटे नहीं रहे तो पिता की अर्थी को कांधा देकर शमशान जाने लगी बेटिंया……….
कवित्री कविता तिवारी की एक कविता आज सासनी में साक्षात्कार करा दिया। जहां एक बेटी ने अपने पिता की अर्थी को कांधा हीं नहीं दिया वल्कि उन्हें मुखाग्नि भी देकर बेटी से बेटे होने का एहसास कराया।
कस्बा के मोहल्ला विष्णुपुरी निवासी सेवानिवृत प्रधानाध्यापक काफी समय से बीमार चल रहे थे। जिनका सोमवार की देर रात करीब ढाई बजे निधन हो गया। पिता को छोटी बेटी ने मुखाग्नि देकर समाज को एक नसीहत दी है। बता दें प्रधानाध्यापक मानिकराम मलिक के दो पुत्रियां हैं और एक पुत्र था। बडी पुत्री सीमा की शादी फिरोजाबाद में कर दी तो छोटी बेटी अन्नू की शादी दिल्ली में कर दी। शादी के कुछ दिन बाद ही छोटी बेटी को ससुराली तंग करने लगे जिसे लेकर पिता एवं भाई रमन मलिक ने बेटी के ससुरालियों से संबध बिच्छेद कर दिया। अब बेटी अन्नू पिता और भाई के पास ही रहने लगी। इसी बीच करीब एक वर्ष पूर्व प्रधानाध्यापक के पुत्र रमन की तबियत खराब हो गई और उसे काल के क्रूर हाथों ने पिता से पुत्र और बहन से भाई छीन लिया। एक वर्ष पूर्व बीमारी के चलते भगवान को प्यारा हो गया। अब पिता की जिम्मेदारियों की बोझ बेटी उठाने लगी। कहीं उपचार को ले जाना पडता तो छोटी बेटी ही उपचार को ले जाती, जो भी काम करना होता छोटी बेटी को ही करना होता। सोमवार की देर रात प्रधानाध्यापक की उपचार के दौरान अलीगढ में मौत हो गई। छोटी बेटी अन्नू ने पिता की अर्थी को कांधा ही नहीं बल्कि मुखाग्नि देकर समाज को एक नसीहत दी।