महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने 17 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने गुरुवार को यह फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी को अपने प्राकृतिक जीवन के शेष हिस्से तक जेल में रहना होगा। यह मामला साल 2019 में पालघर जिले में हुई वारदात से जुड़ा है, जिसमें तीन अन्य आरोपी उस समय नाबालिग थे और उनका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है।
विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र और पॉक्सो न्यायाधीश एन. के. करांडे ने 25 वर्षीय सागर जानू ढनगाटे को दोषी ठहराते हुए उस पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। विशेष लोक अभियोजक विजय बी. मुंडे के अनुसार, 18 जनवरी 2019 को यह घटना तब हुई थी जब किशोरी नदी से पानी भरकर अपने घर लौट रही थी। इसी दौरान ढनगाटे और तीन नाबालिगों ने उसका रास्ता रोका और सामूहिक दुष्कर्म किया।
घटना और जांच का विस्तार
किशोरी उस समय आश्रम स्कूल में पढ़ती थी और छुट्टियों में राशन लाने के लिए अपने परिवार के पास पालघर आई थी। घटना के बाद जब लड़की ने अपनी मां को पूरी बात बताई तो परिवार ने तत्काल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। प्रारंभिक जांच राज्य पुलिस ने की थी, लेकिन बाद में मामला गंभीरता देखते हुए इसे विशेष अदालत में स्थानांतरित किया गया। पुलिस ने सागर ढनगाटे समेत चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
अदालत की सुनवाई और फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान कुल नौ गवाहों, जिनमें पीड़िता भी शामिल थी, के बयान अदालत में दर्ज किए गए। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने सामूहिक दुष्कर्म और पॉक्सो कानून के तहत लगे सभी आरोपों को पुख्ता सबूतों के साथ साबित कर दिया। न्यायाधीश करांडे ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज के नैतिक ताने-बाने को तोड़ते हैं और अदालत को कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए। इसके बाद सागर ढनगाटे को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
नाबालिग आरोपियों की स्थिति
इस मामले में शामिल तीन अन्य आरोपी घटना के वक्त नाबालिग थे, जिनका मुकदमा अब बाल न्यायालय में चल रहा है। अदालत ने कहा कि नाबालिगों के मामलों पर बाल न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत ही कार्रवाई की जाएगी। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पीड़िता को मुआवजा योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वह आगे की जिंदगी आत्मनिर्भरता के साथ जी सके।