जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में अभिनेत्री, फिल्म निर्माता और समाज सेविका आरुषि निशंक ने सर्कुलर अर्थव्यवस्था (पुनर्चक्रण आधारित अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने की बात की। उन्होंने कहा कि यह मॉडल न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि लोगों को रोजगार भी देता है।
यूएनईपी (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) द्वारा जिनेवा के अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए आरुषि ने बताया कि अपने एनजीओ ‘स्पर्श गंगा’ के जरिए वह गंगा सफाई, जलवायु परिवर्तन और महिला सशक्तिकरण पर लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह गंगा नदी में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती बनाकर उत्तराखंड में सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दिया गया है। प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उन्होंने जूट के बैग बनवाने की भी शुरुआत की है, जिससे कई लोगों को काम मिला है।
उन्होंने कहा कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था का मतलब है – सीमित संसाधनों का समझदारी से इस्तेमाल करना और पर्यावरण का ध्यान रखते हुए विकास करना। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों और हिमालयी क्षेत्रों में यह मॉडल बेहद ज़रूरी है, जहां पर्यटन के कारण बहुत कचरा पैदा होता है। अगर सर्कुलर अर्थव्यवस्था को अपनाया जाए तो न सिर्फ कचरा कम होगा, बल्कि स्थानीय लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा।
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