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Varanasi News: बीटेक पास निकला साइबर अपराधी, 10 आईफोन, कार, दो लैपटॉप व नकदी बरामद; तीन बदमाश अरेस्ट

पिछले साल मई में वाराणसी के साइबर सेल में महमूरगंज की महिला ने मामला दर्ज कराया था। आरोप था कि उसके साथ करीब आठ लाख रुपये की ठगी की गई है। पुलिस ने मामले का पर्दाफाश करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

Cyber criminal turned out to B Tech pass iPhones car laptops cash recovered three miscreants arrested

जूडियो कंपनी की फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर साइबर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गैंग के सरगना और उसके दो गुर्गों को साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिले के गंगापुर कटीना के आकाश कुमार व सैदी के मयंक कुमार और शेखपुरा जिले के पिंजरी के प्रशांत कुमार के रूप में हुई है। तीनों कोलकाता में बैंक गार्डन इलाके में रहते थे। गिरोह का सरगना आकाश कुमार है और प्रशांत कुमार कंप्यूटर साइंस से बीटेक उत्तीर्ण है।

आकाश कुमार पश्चिम बंगाल से और प्रशांत कुमार हरियाणा से जेल जा चुका है। तीनों के पास से 10 आईफोन, दो लैपटॉप, तीन डेबिट कार्ड, एक कार और 3720 रुपये बरामद हुआ है। तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया।

गोपाल विहार कॉलोनी, महमूरगंज की रहने वाली जसवीर कौर की तहरीर पर 11 मई 2024 को साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। जसवीर के अनुसार उन्होंने जूडियो कंपनी की फ्रेंचाइजी के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था। फ्रेंचाइजी देने के नाम पर साइबर ठगों ने उनसे 8,55,500 रुपये ठग लिए। 

डीसीपी क्राइम / वरुणा जोन ने बताया कि साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र के नेतृत्व में इंस्पेक्टर विपिन कुमार, दरोगा आलोक रंजन और एएसआई श्याम लाल गुप्ता की टीम ने मामले की जांच शुरू की। लेनदेन से संबंधित बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और फर्जी वेबसाइट की मदद से डिजिटल फुटप्रिंट तैयार कर तीनों आरोपियों को नालंदा और कोलकाता से पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया।

असली वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाते हैं
पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह नामचीन कंपनियों जैसे किया मोटर्स, कल्याण ज्वेलर्स, टाटा स्टार बक्स, जूडियो, टाटा ट्रेंट, बर्गर किंग की असली वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाते हैं। फिर फर्जी वेबसाइट का प्रमोशन विज्ञापन के माध्यम से गूगल और सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर किया जाता है। जिन लोगों को उपरोक्त कंपनियों के फ्रेंचाइजी की आवश्यकता होती है, उनके द्वारा वेबसाइट को गूगल पर सर्च किया जाता है।

पेड प्रमोशन होने के कारण फर्जी वेबसाइट सबसे पहले दिखाई देती है। उन पर लोग अपना पूरा विवरण डाल देते हैं। इसके बाद उन्हें फोन कर रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी मनी, जीएसटी फीस वगैरह का हवाला देते हुए कथित कंपनी के फर्जी म्यूल बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर करा लिया जाता है

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