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साहित्यानंद ने मनाया बसंत पर संस्थापक का जन्म दिन

बसंत पंचमी के पर्व को नगर की साहित्यिक संस्था साहित्यानंद ने संस्थापक पंडित रामनिवास उपाध्याय के जन्म दिन के साथ मनाया। इस अवसर पर एक दर्जन कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर ईश्वर से शतायु जीवन प्रदान करने की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर अलीगढ़ के शायर नसीर नादान को संस्था द्वारा सम्मानित भी किया गया तथा चेतराम स्मृति सम्मान से हाथरस के कवि रोशन लाल वर्मा को समानित किया गया इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक संगठन के जिला अध्यक्ष रामचरन बघेल ने की और संचालन मुरारी लाल शर्मा ने किया।
मां सरस्वती का विधिवत पूजन करने के बाद कवि रोशन लाल वर्मा ने सरस्वती वंदना का पाठ किया तत्पश्चात उन्होंने सुनाया-वन महके उपवन महके महक रहे घर के आंगन मन बगिया महक उठी सबकी महक उठा सबका यौवन। इसके बाद अलीगढ़ से आए शायर नसीर नादान ने सुनाया-बारिश हो मोहब्बत की नफरत का अंत हो अल्लाह अबकी बार ऐसा बसंत हो। इसके बाद डॉ प्रभात कुमार ने सुनाया -कंप्लीट तेरे इश्क की डायरी नहीं होती तुझे सोचे बगैर मेरी शायरी नहीं होती। तत्पश्चात शायर याकूब खां ने सुनाया- हम बसंती रंग के अल्फाज लेकर आए हैं गीत गाने का नया अंदाज लेकर आए हैं। कवि विनोद कुमार जायसवाल ने सुनाया-हमारे वादे यूं ही चलते रहे पर सच्चाई में रंग बदलते रहे इसके बाद कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया रामसेतु को तोड़ते रामराज के संत राम विरोधी बढ़ गए हे ऋतुराज बसंत । नेहा वार्ष्णेय ने सुनाया-हर चमन से कोई फूल चुन लेना पलकों से किरकिरी की धूल चुन लेना हर मौसम से होकर गुजरेगी यह जिंदगी तुम भीगी सर्दी में मखमली धूप चुन लेना। व्यंगकार कवि वीरेन्द्र जैन नारद ने सुनाया-
अपनी तो चाहत है इतनी हर बात बसंती हो जाए हर दिन तो बसंती होता है कोई रात बसंती हो जाए। मुरारी लाल शर्मा मधुर ने सुनाया – अमुआ डाल पे बैठ कोयलिया मीठी तान सुनावन लागी ।विष्णु शर्मा ने सुनाया बड़े-बड़े शूरवीर नेता अभिनेता कवि विष्णु की क्या है शिव छाती पर सवार है ।रविराज सिंह ने सुनाया शिक्षा दे रही जी हमको रामायण अति प्यारी इसके बाद अमर सिंह ने सुनाया सीरत को छोड़कर जो सूरत को ताकते हैं वह हैसियत भी मेरी पैसों से आंकते हैं। इसके बाद सभी कवियों द्वारा संस्थापक पंडित रामनिवास उपाध्याय को उनके 85 वें जन्मदिन की बधाई देने के साथ ही गोष्ठी का समापन हो गया ।

Sunil Kumar
Author: Sunil Kumar

SASNI, HATHRAS

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