महाकुंभ और सूर्यास्त… शाम होते ही फूट पड़ते हैं रोशनी के फव्वारे, शीतल-रंगीन चादर ओढ़ लेती है
महाकुंभ और सूर्यास्त… शाम होते ही फूट पड़ते हैं रोशनी के फव्वारे, शीतल-रंगीन चादर ओढ़ लेती है संगम नगरीमहाकुंभ की शामें अपनी भव्यता और दिव्यता से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं. सूर्यास्त होते ही प्रयागराज की कुंभ नगरी में एक अद्भुत परिवर्तन होता…महाकुंभ की शामें अपनी भव्यता और दिव्यता से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं. सूर्यास्त होते ही प्रयागराज की कुंभ नगरी में एक अद्भुत परिवर्तन होता…कुंभ नगरी में केवल भक्ति की ही नहीं, देशभक्ति की धारा भी बहती है. स्थानीय गायक मिश्र बंधु के देशभक्ति गीतों पर श्रद्धालु और साधु-संत झूमते नजर आते हैं.सुरभि शोध संस्थान और मारवाड़ी सेवा संघ के भंडारे में श्रद्धालु सुबह से आधी रात तक पंगत में बैठकर सुस्वादु प्रसाद का आनंद लेते हैं. भंडारे के माध्यम से..रासलीला का आयोजन इस भक्ति पर्व को और भी खास बना देता है. कथा सुनने के बाद श्रद्धालु रासलीला का आनंद लेते हैं और फिर खुले आसमान के नीचे अपनी जगह बना ले…