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शस्त्र लाइसेंस: अलीगढ़ में 15 हजार ने मांगे थे, चार साल में जारी हुए सिर्फ सात, सिफारिशें भी नहीं आ रहीं काम

अब लाइसेंस प्रक्रिया को बेहद जटिल कर दिया गया है। पहले आमतौर पर लाइसेंस जारी हो ही जाते थे। लेकिन अब पात्रता और जरूरत की जांच होने के बाद ही मिलता है। यही वजह है कि हजारों आवेदन जांच के पहले ही पायदान पर धड़ाम हो जा रहे हैं। 15000 ने आवेदन किया लेकिन लाइसेंस केवस सात को ही मिल सके

अलीगढ़ जनपद के पंद्रह हजार लोगों ने पिछले चार सालों के भीतर शस्त्र लाइसेंस मांगे। किसी के अपनी जान को खतरा बताया तो किसी ने तर्क दिया कि उनकी रंजिश चल रही है। जबकि कुछ ने घर गांव में आबादी से दूर होने बताया था। जाहिर सी बात है कि इन आवेदनों की जांच भी हुई होगी। थाने और तहसील ने रिपोर्ट लगाई होगी। क्योंकि लाइसेंस जारी होने से पहले हर आवेदन को इस प्रक्रिया से गुजरना होता है। लेकिन लाइसेंस आवेदनों की भारी भरकम भीड़ के बीच से केवल सात आवेदन ही जरूरी माने गए और इन्हें लाइसेंस जारी किए गए।

आंकड़ों के मुताबिक अलीगढ़ जिले में 37000 शस्त्र लाइसेंस धारक हैं। इनमें करीब 23 हजार लाइसेंस शहर में और 14 हजार ग्रामीण में हैं। इनमें 98 फीसदी लाइसेंस 10 साल या उससे पहले की अवधि के बने हुए हैं। नए लाइसेंसों की संख्या तो बहुत ही कम है। अब लाइसेंस प्रक्रिया को बेहद जटिल कर दिया गया है। पहले आमतौर पर लाइसेंस जारी हो ही जाते थे। लेकिन अब पात्रता और जरूरत की जांच होने के बाद ही मिलता है। यही वजह है कि हजारों आवेदन जांच के पहले ही पायदान पर धड़ाम हो जा रहे हैं। 15000 ने आवेदन किया लेकिन लाइसेंस केवस सात को ही मिल सके।

सभी कागज पूरे कर दिए हैं। बीट सिपाही से लेकर एसपी स्तर तक रिपोर्ट लग गई है। अब आगे की कार्रवाई का पता नहीं लग पा रहा है। लगातार विभागों के चक्कर लगाने के बाद भी फाइल आगे नहीं बढ़ रही– इमरान राजा, थाना क्वार्सी

फाइल में तहसील स्तर से रिपोर्ट लगी है। इससे आगे फाइल सरक ही नहीं रही। पुलिस सत्यापन हो गया है। मेरे कागज सभी पूरे हैं। यह भी नहीं बताया जा रहा है कि फाइल में कमी क्या है।– शरद बंसल, थाना बन्ना देवी

शस्त्र लाइसेंस पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है। पात्रता और आवश्यकता की परख करते हुए सभी पहलुओं पर विचार करते हुए लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी की जाती है।– विशाख जी, जिलाधिकारी 

जनप्रतिनिधियों की सिफारिश भी नहीं आ रही काम

अलीगढ़ के सांसद और विधायकों द्वारा सबसे ज्यादा सिफारिशी पत्र लाइसेंस को लेकर ही लिखे जा रहे हैं। लेकिन इस बार यह पत्र भी काम नहीं आ रहे हैं। क्योंकि अदालत के सख्त रुख के बाद प्रशासनिक अमला सतर्क हो गया है और पूरी पड़ताल के बाद ही रिपोर्ट बनाई जा रही है। यही वजह है कि अधिकांश आवेदन निरस्त हो जा रहे हैं।

यह है वजह
एडवोकेट दिनेश कुमार कहते हैं कि करीब नौ साल पहले हाईकोर्ट ने बड़ी संख्या में शस्त्र लाइसेंस जारी किए जाने पर प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और इस मामले में बेहद सतर्कता से काम लेने के लिए कहा। इसके बाद अधिकारियों ने इस मामले से अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए।

हजारों आवेदन पड़े हैं लंबित
किस स्तर पर कितने फीसदी (अनुमानित)

  • थाना- 50 फीसदी
  • क्षेत्राधिकारी- 20 फीसदी
  • एसपी – 10 फीसदी
  • तहसील- 10 फीसदी
  • अन्य- 10 फीसदी
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