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HMPV VIRUS :ये है एचएमपीवी संक्रमण के तेजी से फैलने की मुख्य वजह, अध्ययन में सामने आई बड़ी जानकारी

दुनियाभर में एचएमपीवी 60 साल से अधिक समय से है और दो दशकों से अधिक समय से इसके बारे में वैज्ञानिकों को जानकारी भी है। ऐसे में सवाल ये है कि जब वायरस हमारे बीच इतने समय से मौजूद है तो फिर इस बार इसे लेकर इतनी चर्चा क्यों की जा रही है? अध्ययन में इस सवाल का जवाब मिल गया है।

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) इन दिनों दुनियाभर के विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। दिसंबर के मध्य से चीन में शुरू हुआ ये संक्रमण देखते ही देखते भारत-चीन सहित आठ से अधिक देशों में फैल चुका है। जिन देशों में संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं वहां के हालात पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर संक्रमित पांच साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग या फिर वो लोग हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। हालांकि अब तक इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का जोखिम ज्यादा नहीं देखा गया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, वैसे तो दुनियाभर में ये वायरस 60 साल से अधिक समय से है और दो दशकों से अधिक समय से इसके बारे में वैज्ञानिकों को जानकारी भी है। मलेशिया जैसे देशों में ये पहले भी फैलता रहा है। ऐसे में सवाल है कि जब  एचएमपीवी हमारे बीच इतने समय से मौजूद है तो फिर इस बार इसे लेकर इतनी चर्चा क्यों की जा रही है?

हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 2024-25 में बढ़ते ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों को समझने की कोशिश की, जिसमें कई महत्वपूर्ण बातों का पता चला है।वायरस के दो नए म्यूटेशनों का पता चला

भारत में एचएमपीवी संक्रमण के मामलों ने दहशत पैदा कर दी है। चूंकि ये चीन से फैल रहा है, जैसा कि कोविड के समय में भी देखा गया था, इसलिए लोगों के मन में कई तरह का डर देखा जा रहा है। एचएमपीवी इस बार क्यों इतना संक्रामक हो गया है, इसका प्रसार इतनी तेजी से क्यों हो रहा है इसलिए समझने के लिए पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने कई अन्य संस्थानों के साथ मिलकर अध्ययन किया।

इस शोध में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस में दो नए म्यूटेशनों ए2.2.1 और ए2.2.2 के बारे में पता चला है। इसे ही इन दिनों तेजी से बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने जनवरी 2021 से जून 2024 तक स्वैब सैंपल की जांच की। इस बीच संक्रमण के शिकार अधिकतर लोगों में नए म्यूटेशन वाले वारस का पता चला है। शोधकर्ताओं ने बताया कि नए स्ट्रेनों में आनुवंशिक विविधता जरूर है लेकिन इसके कारण भी पुराने स्ट्रेन जैसे लक्षण (जिसमें हल्के सर्दी-खांसी, गले में खराश, श्वसन समस्याएं) ही देखे गए हैं।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया, ग्रुप ए के स्ट्रेन (A1, A2a, A2b) अक्सर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण बढ़ाने वाली प्रकृति वाले रहे हैं। इनमें अगर कोई म्यूटेशन होता है तो संक्रामकता और रोग की गंभीरता में कुछ अंतर जरूर हो सकता है।

अध्ययन के निष्कर्ष में बताया गया है कि संक्रमण के अधिकतर मामले एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक देखे जाते रहे हैं। रोग की गंभीरता का स्थिति में  67% को घरघराहट और 6.9% को दौरे पड़ने जैसी दिक्कतें भी देखी गई हैं। नवंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच फैले संक्रमण की पॉजिटिविटी रेट 9.6% थी। पॉजिटिविटी रेट का मतलब टेस्ट किए गए कुल सैंपल में से कितने सैंपल में संक्रमण की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय दुनियाभर में फैल रहे एचएमपीवी संक्रमण के लिए यही दो म्यूटेशन जिम्मेदार हो सकते हैं।

एचएमपीवी को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं

अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने कहा, एचएमपीवी ज्यादा गंभीर रोगकारक वायरस नहीं रहा है जिसको लेकर ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता है। हालांकि नए स्ट्रेनों की प्रकृति को समझने के लिए अभी और अधिक और विस्तृत शोध की आवश्यकता है।  एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है जो मुख्यरूप से ऊपरी श्वसन  तंत्र को प्रभावित करता है हालांकि कुछ लोगों में इसके कारण निचले श्वसन तंत्र से संबंधित लक्षण भी हो सकते हैं। श्वसन संक्रमण से बचाव के लिए किए जाने वाले उपाय इस संक्रमण से बचाव के लिए भी काफी हैं।

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Author: planetnewsindia

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