ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) इन दिनों दुनियाभर के विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। दिसंबर के मध्य से चीन में शुरू हुआ ये संक्रमण देखते ही देखते भारत-चीन सहित आठ से अधिक देशों में फैल चुका है। जिन देशों में संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं वहां के हालात पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर संक्रमित पांच साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग या फिर वो लोग हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। हालांकि अब तक इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का जोखिम ज्यादा नहीं देखा गया है।
भारत में एचएमपीवी संक्रमण के मामलों ने दहशत पैदा कर दी है। चूंकि ये चीन से फैल रहा है, जैसा कि कोविड के समय में भी देखा गया था, इसलिए लोगों के मन में कई तरह का डर देखा जा रहा है। एचएमपीवी इस बार क्यों इतना संक्रामक हो गया है, इसका प्रसार इतनी तेजी से क्यों हो रहा है इसलिए समझने के लिए पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने कई अन्य संस्थानों के साथ मिलकर अध्ययन किया।
अध्ययन के निष्कर्ष में बताया गया है कि संक्रमण के अधिकतर मामले एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक देखे जाते रहे हैं। रोग की गंभीरता का स्थिति में 67% को घरघराहट और 6.9% को दौरे पड़ने जैसी दिक्कतें भी देखी गई हैं। नवंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच फैले संक्रमण की पॉजिटिविटी रेट 9.6% थी। पॉजिटिविटी रेट का मतलब टेस्ट किए गए कुल सैंपल में से कितने सैंपल में संक्रमण की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय दुनियाभर में फैल रहे एचएमपीवी संक्रमण के लिए यही दो म्यूटेशन जिम्मेदार हो सकते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने कहा, एचएमपीवी ज्यादा गंभीर रोगकारक वायरस नहीं रहा है जिसको लेकर ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता है। हालांकि नए स्ट्रेनों की प्रकृति को समझने के लिए अभी और अधिक और विस्तृत शोध की आवश्यकता है। एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है जो मुख्यरूप से ऊपरी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है हालांकि कुछ लोगों में इसके कारण निचले श्वसन तंत्र से संबंधित लक्षण भी हो सकते हैं। श्वसन संक्रमण से बचाव के लिए किए जाने वाले उपाय इस संक्रमण से बचाव के लिए भी काफी हैं।
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