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Bihar news : शहर से लेकर देहात तक पुलिस कर्मियों की निर्धारित स्थानों पर गस्त व चेकिंग में ड्यूटी लगाई जाती है। इसके लिए संबंधित थानेदार व क्षेत्राधिकारियों को जिम्मा दिया गया है कि वह गस्त व चेकिंग का औचक निरीक्षण करें। गैर हाजिर मिलने वाले कर्मियों पर कार्रवाई भी तय होती है। थानों में रात्रि गणना व गस्त मिलान भी किया जाता है। रात्रि गस्त को और भी बेहतर बनाया जाएगा। जहां खामी हैं उन्हें दूर कराया जाएगा।- मृ़गांक शेखर पाठक, एसपी सिटी

प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे अनशन कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पिछले पांच दिन से मैं सिर्फ पानी पर हूं। जब तक नीतीश सरकार बीपीएससी अभ्यर्थियों के हित में कोई रास्ता नहीं निकालेगी तब तक मैं जेल में अनशन पर ही रहूंगा।

जेल जाने से पहले जनसुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार शाम को पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने जेल में आमरण अनशन जारी रखने की बात कही। साथ ही एनडीए सरकार पर हमला भी बोलते हुए स्पष्ट कहा कि यह लाठीतंत्र चलाने वाले नीतीश और भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकने का अभियान है। प्रशांत किशोर ने पटना पुलिस पर बयान दिया। कोर्ट, बेल और पीआर बॉन्ड की बात भी की। गांधी के सत्याग्रह की याद दिलाते उन्होंने नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश की। आइए जानते हैं जेल जाने से पहले प्रशांत किशोर ने क्या-क्या कहा…

पुलिस से हमारी कोई लड़ाई नहीं है
प्रशांत किशोर ने कहा कि गांधी मैदान में हमलोग पिछले पांच दिनों से शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे थे। मैं अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठा था। सोमवार सुबह करीब चार बजे पटना पुलिस आई और कहा कि हमलोगों के साथ चलिए। हमलोग साथ गए। पुलिसवालों को व्यवहार अच्छा रहा। प्रशांत किशोर थप्पड़ विवाद का भी खंडन किया है। उन्होंने कहा कि थप्पड़ मारने की बात गलत है। मेरे एक साथ ने उत्साह में मेरा हाथ पकड़ा था। पुलिस हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। पुलिस से हमारी कोई लड़ाई नहीं है। गांधी मैदान से पटना पुलिस मुझे पटना एम्स लेकर गई। वहां डेढ़ घंटे तक बैठाकर रखा गया। एम्स प्रबंधन ने मुझे भर्ती लेने से मना कर दिया। इसके बाद पटना पुलिस तीसरी जगह ले जाने की कोशिश करने लगे।

मैंने डॉक्टरों को परीक्षण की इजाजत नहीं दी
प्रशांत किशोर ने कहा कि पटना एम्स से निकले के बाद से पुलिस का व्यवहार गलत हुआ। पुलिस करीब साढ़े पांच बजे से 11 बजे तक अलग-अलग जगहों पर मुझे घुमाती रही। मैं बार-बार पूछता रहा लेकिन मुझे सच नहीं बताया गया। वह मुझे पीएमसीएच और एनएमसीएच में ले जाने की बात कहते रहे। करीब पांच घंटे के मुझे फतुहा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिये लेकर गए। यहां मैंने डॉक्टर से कहा कि मैं पिछले पांच दिन से अनशन पर बैठा हूं। मैंने डॉक्टरों को परीक्षण की इजाजत नहीं दी। पुलिसवालों ने परीक्षण का सर्टिफिकेट गैरकानूनी तरीके से लेने की कोशिश की। लेकिन, डॉक्टरों ने सर्टिफिकेट नहीं दिया। इसके बाद मेरा बयान रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद अलग-अलग रास्तों से घुमाकर सिविल कोर्ट लाया गया।
मेरे अनशन कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं होगा
प्रशांत किशोर ने कहा कि कोर्ट में केस की सुनवाई के बाद मुझे जमानत दे दी गई। लेकिन, एक पीआर बॉन्ड भरने की शर्त रखी। इसमें लिखा था कि आप फिर से ऐसा गलत काम नहीं करेंगे। मैंने इसे स्वीकार नहीं किया और जेल जाना कबूल किया। मैंने ऐसा इसलिए किया क्यों कि अगर बिहार में युवाओं और महिलाओं पर लाठी चलाना जायज है और उसके खिलाफ आवाज उठाना जुर्म है तो मैंने जेल जाना स्वीकार करता हूं। अगर गांधी मैदान में अपनी बात रखना गुनाह है, जिस बिहार में गांधी जी ने सत्याग्रह किया, अगर यहां ऐसा करना गुनाह है तो मैं जेल जाना स्वीकार करता हूं। मेरे अनशन कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पिछले पांच दिन से मैं सिर्फ पानी पर हूं। जब तक नीतीश सरकार इसका रास्ता नहीं निकालेगी तब तक मैं जेल में अनशन पर ही रहूंगा।

पुलिस को ऊपर से ही लाठी चलाने का आदेश दिया गया है
प्रशांत किशोर ने समर्थकों से कहा कि आपलोगों से अपील है कि आपलोग पुलिस का सहयोग कीजिए। किसी भी पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की मत कीजिए। यह लोग ड्यूटी कर रहे हैं। इन्हें ऊपर से लाठी चलाने का आदेश दिया गया है। लाठीतंत्र चलाने वाले नीतीश और भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकने का अभियान है।

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