बंजार घाटी के तांदी गांव में काष्ठकुणी शैली से बने लकड़ी के घर एक के बाद एक आग की चपेट में आ गए। लपटें इतनी तेजी से फैलीं कि गांव वालों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। आग पर काबू पाने की भरपूर कोशिश की गई लेकिन पानी खत्म हो गया। दमकल वाहन को करीब सात किलोमीटर दूर जिभी जाकर पानी ढोना पड़ा।
इन लोगों के जले मकान : दलीप सिंह पुत्र हिमत राम, यज्ञ चंद पुत्र हिमत राम, दुनीचंद पुत्र लोभू राम, लोत राम पुत्र रोशन लाल, लुदरमणी पुत्र लोगू, रविंद्र पुत्र उगत राम, माडू राम पुत्र मोती राम, कातकू पुत्र मोती राम, किशोर कुमार पुत्र दिले राम, अनूप राम पुत्र दुला राम, वितन सिंह पुत्र देवी राम, रमेश कुमार पुत्र खूबराम, गेहरू राम पुत्र केवल राम,लोत राम पुत्र लुदर चंद, महिंद्र सिंह पुत्र मोती राम, चेन सिंह पुत्र देवी राम और डोलू देवी पत्नी प्रीमू राम शामिल हैं।
इनकी गोशालाएं चढ़ीं भेंट : दलीप सिंह पुत्र हिमत राम, यज्ञ चंद पुत्र हिमत राम, दुनी चंद्र पुत्र लोस राम, लुदरमणी पुत्र लोभू राम, रविंद्र पुत्र उगम राम तथा डोलू देवी पुत्र प्रीमू राम की गोशालाएं जल गई हैं।
आग की घटना पर काबू पाने के लिए सबसे पहले दमकल को तुरंत सूचना और दमकल वाहन का मौके पर पहुंचना जरूरी होता है। सड़क सुविधा न होने के कारण आग से नुकसान अधिक होता है। लकड़ी के घरों में आग तेजी से फैलती है- प्रेम भारद्वाज, फायर ऑफिसर, अग्निशमन विभाग
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