PM Modi Mann ki Baat :पीएम मोदी बोले- हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा, इसकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंचा
इस कार्यक्रम की शुरुआत तीन अक्तूबर 2014 को हुई थी। इसे 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है। आइए पढ़ते हैं साल की आखिरी ‘मन की बात’ में पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें…
बच्चों की पसंदीदा एनिमेशन सीरीज का जिक्र किया
राज कपूर और रफी साहब को किया याद
पीएम मोदी ने कहा कि 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं। इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई। राज कपूर ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया। रफी साहब की आवाज में वो जादू था, जो हर दिल को छू लेता था। उनकी आवाज अद्भुत थी। भक्ति गीत हों या रोमाटिंग गानें, दर्द भरे गाने हों, हर भाव को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया। एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है। यही तो है टाइमलेस आर्ट की पहचान।
अक्किनेनी नागेश्वर राव और तपन सिन्हा को सराहा
वर्ल्ड ऑडियो विजुअल इंटरटेनमेंट समिट अगले साल
मलेरिया चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती
पीएम मोदी ने कहा कि मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी। एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है। आज, मैं संतोष से कह सकता हूं कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है। भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है।
पीएम मोदी ने कहा कि असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था, लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी। अपने इस प्रयास में उन्होनें तकनीकि के साथ-साथ सोशल मीडिया का भी भरपूर इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा मॉडल पेश किया। यहां मलेरिया की निगरानी के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है। नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की ब्रीडिंग कम करने में काफी मदद मिली है। देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है।
कैंसर का इलाज और आयुष्मान भारत का जिक्र