एक्शन एड एसोसिएशन के 5वें वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में देशभर से 32 जिसमें मध्यप्रदेश से दो मानवाधिकार रक्षकों को सम्मानित किया गया!
एक्शन एड एसोसिएशन के 5वें वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में देशभर से 32 जिसमें मध्यप्रदेश से दो मानवाधिकार रक्षकों को सम्मानित किया गया!
मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित समुदायों की राहत के लिए कानून बनाने की मांग की गई!
सतना, मध्यप्रदेश। एक्शन एड एसोसिएशन ने हाल ही में अपना दो दिवसीय (17-18 दिसंबर) पांचवा वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह दिल्ली में आयजित किया, जिसमें भारत के 22 राज्यों के 93 जिलों से 171 मानवाधिकार और जलवायु न्याय कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यक्रम में मानवाधिकार रक्षकों को उनके अथक प्रयासों और प्रेरणादायी कार्यों के लिए प्रोत्साहित और सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित सम्मान समारोह में राज्य सभा सांसद माननीय सुश्री माया नरोलिया, भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के महासचिव श्री भरत लाल, भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव सुश्री अमरजीत कौर और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक डॉ. पूनम मुत्त्रेजा सहित अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं। इस समारोह में गणमान्य अतिथियों द्वारा उन चयनित मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया जो हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम में इस वर्ष असाधारण योगदान और उत्कृष्ट कार्य करने वाले देशभर के 32 मानवाधिकार रक्षकों को सम्मानित किया गया जिसमें मध्य प्रदेश के दो साथी फ़हीम खान और सुरेंद्र दाहिया शामिल हैं। एक्शनएड एसोसिएशन द्वारा हर साल वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें लैंगिक समानता, पर्यावरण और सामाजिक न्याय, दलितों- आदिवासियों , मज़दूरों और अन्य हाशिये पर खड़े समुदायों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए काम करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
सम्मान समारोह में आए हुये विशिष्ट अतिथियों में शामिल माननीय सांसद सुश्री माया नरोलिया ने कहा कि इन मानवाधिकार रक्षकों के समर्पण और साहस को देखना वास्तव में प्रेरणादायक है। उनके अथक प्रयास हम सभी के लिए आशा की किरण हैं। पुरस्कार वितरण के बाद भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव श्री भरत लाल जी ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन प्रत्येक नागरिक का मौलिक दायित्व है। ये पुरस्कार विजेता मानवाधिकार वकालत की सच्ची भावना का उदाहरण हैं और हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव सुश्री अमरजीत कौर ने कहा कि इन मानवाधिकार रक्षकों का कार्य सभी के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। हमें उनके साथ एकजुटता से खड़े होना चाहिए और अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए उनके प्रयासों का समर्थन करना चाहिए। इसी क्रम में जनसंख्या फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक डॉ. पूनम मुत्त्रेजा ने कहा कि मानव अधिकार रक्षक सामाजिक परिवर्तन के चैंपियन हैं, जो गरीबी, असमानता और भेदभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। संवैधानिक मूल्यों पर टिका बेहतर समाज इस प्रकार के प्रयासों से ही हासिल किया जा सकता है। अंत में अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए एक्शन एड एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक संदीप चांचड़ा जी ने कहा कि हम मानवाधिकार रक्षकों के अविश्वसनीय प्रयासों और उनके योगदान का दिल से सम्मान करते है। उनका साहस, जज़्बा और समर्पण हम सभी को प्रेरित करता है। एक्शनएड एसोसिएशन न्यायसंगत और समतामूलक समाज के निर्माण के लिए मानवाधिकार रक्षकों के संघर्षों और उनके कामों के साथ एकजुटता से खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध है।
मानवाधिकार रक्षकों और जलवायु प्रभावित समुदायों के लिए कानून बनाने की मांग
देशभर से आए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपने वक्तव्यों में जोखिमों उठाकर काम करने वाले मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित वंचित और शोषित समाज को सुरक्षा, राहत और मुआवजा प्रदान करने के लिए देशव्यापी कानून बनाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि मानवाधिकार रक्षकों के ऊपर लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं। जान माल को जोखिम में डालकर दूसरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले मानव अधिकार रक्षक अपने अधिकारों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। इनकी रक्षा के लिए एक देश व्यापी कानून बनाने की अत्यंत आवश्यकता है। इसी प्रकार जलवायु परिवर्तन के कारण हाशिये के समाजों और वर्गों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आदिवासी, मछुआरों, गरीब भूमिहीन किसान, असंगठित मजदूर जैसे निर्माण श्रमिक, मनरेगा मज़दूर, स्ट्रीट वेंडर अन्य जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। उनकी आजीविका और स्वास्थ्य खतरे में हैं। लेकिन अभी तक हमारे देश में ऐसा कोई कानून नहीं हैं जो जलवायु परिवर्तन से पीड़ित हाशिये के समुदायों को राहत दे सके उन्हें उचित सुरक्षा और मुआवजा दे सके। इसलिए भी गहराते जलवायु संकट के मद्देनजर पीड़ित तबकों और समुदायों को राहत देने के लिए जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हाशिये के समुदायों को राहत देने के लिए देशव्यापी कानून बनाने की आवश्यकता है। मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के राष्ट्रीय समारोह में मानव अधिकार रक्षक कानून और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित और पीड़ित समुदायों को राहत प्रदान करने वाले कानून के निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान चलाने और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित समुदायों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए एक्शन रिसर्च करने का निर्णय लिया गया।