Special Course: कॉलेज में पढ़ाई के साथ मिलेगी जॉब ट्रेनिंग और पैसे, UGC ने तैयार किया ये जबरदस्त प्लान


यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP) कोर्स जनवरी-फरवरी 2025 से शुरू करने वाला है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम को मंजूरी दे दी गई है. इसका मकसद स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान रोजगार के लिए तैयार करना है
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए जॉब ओरिएंटेड कोर्स की शुरुआत करने जा रही है. इस पहल के जरिए यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को 3 या 4 साल की डिग्री कोर्स में इंडस्ट्री बेस्ड ट्रेनिंग के साथ पैसे (स्टाइपेंड) भी देगी. यूजीसी अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP) शुरू करने जा रहा है, ताकि ग्रेजुएट लेवल के डिग्री प्रोग्राम में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल इंडस्ट्री एक्सपीरियंस देकर..उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाई जा सके.
यूजीसी का अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP) कोर्स जनवरी-फरवरी 2025 से शुरू किया जा सकता है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम को मंजूरी दे दी गई है. इसका मकसद स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान रोजगार के लिए तैयार करना है. यह कोर्स समेस्टेर ट्रेनिंग बेस्ड होगा. यूजीसी ने इस कार्यक्रम के लिए दिशा-निर्देशों का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में टॉप 200 में जगह बनाने वाली यूनिवर्सिटी इस कोर्स को लॉन्च कर सकती है. इंडस्ट्री के साथ डायरेक्ट पार्टनरशिप में कोर्स शुरू करने की स्थिति में युवाओं को स्टाइपेंड इंडस्ट्री देगी, जबकि नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम (NATS) पोर्टल से रजिस्ट्रेशन करने पर सरकार द्वारा स्टाइपेंड दिया जाएगा.
यूजीसी अध्यक्ष की संस्थानों से अपील
3 अक्टूबर को यूजीसी की बैठक में समीक्षा की गई दिशा-निर्देश जल्द ही यूजीसी की वेबसाइट पर सार्वजनिक परामर्श और हितधारकों से फीडबैक के लिए उपलब्ध होंगे. यूजीसी अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने देश के विश्वविद्यालयों से यूजीसी के अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP) से जुड़ने की अपील की है.
ड्राफ्ट दिशानिर्देशों के अनुसार, अप्रेंटिसशिप दूसरे सेमेस्टर से शुरू हो सकती है, जो डिग्री अवधि का 50 प्रतिशत तक हो सकती है. रेगुलर अप्रेंटिसशिप के लिए कम से कम एक सेमेस्टर की आवश्यकता होती है. ट्रेनिंग में बिताए गए घंटों की संख्या के आधार पर क्रेडिट दिए जाते हैं, जिसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के साथ एक सिस्टम जुड़ा होता है. अप्रेंटिसशिप का एक पूरा साल कम से कम 40 क्रेडिट के बराबर होता , जिसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के साथ एक सिस्टम जुड़ा होता है. अप्रेंटिसशिप का एक पूरा साल कम से कम 40 क्रेडिट के बराबर होता है. अगर तीन साल का कोर्स है तो छात्रों को कम से कम एक सेमेस्टर और अधिकतम तीन सेमेस्टर के लिए इंडस्ट्री के साथ मिलकर ट्रेंनिंग दिलानी होग. चार साल का कोर्स है तो कम से कम 2 और अधिकतम 4 सेमेस्टर की ट्रेनिंग होगी.
